बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) भाजपा के बढ़ते ग्राफ के बीच कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन बोने नजर आने लगे हैं लोकसभा चुनाव सर पर है कांग्रेस मंडलम से लेकर बूथ लेवल तक मजबूत होने का दावा करती है लेकिन जब किसी मामले को लेकर ज्ञापन विरोध प्रदर्शन का अवसर आता है तो इस समय वही कुछ चुनिंदा चेहरे ही नजर आते हैं ऐसे आयोजनों में कांग्रेस की भीड़ कहीं नजर नहीं आती है हां अगर टिकट को लेकर कोई नेता या पर्यवेक्षक पहुंचे तो वहां हजारों कांग्रेसी गुट बनाकर अपने समर्थकों के साथ अपना वजन दिखाने जरूर पहुंच जाते हैं फिर चाहे चुनाव के परिणाम कुछ भी हो अपनी दुकान जरूर चमका लेते हैं लेकिन जनता और किसानों के मुद्दे या भाजपा की तानाशाही सरकार की अनदेखी को लेकर यदि कोई आंदोलन होता है तो फिर वही चुनिंदा चेहरे औपचारिकता निभाकर चलते बनते हैं भला कांग्रेस इसी प्रकार चली तो परिणाम आगे और क्या होंगे गुरुवार को भी किसानो और समर्थन मूल्य को मोदी की कानूनी गारंटी दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलनकारी किसने की मौत जैसे अनेक मामलों को लेकर ज्ञापन और प्रदर्शन का कार्यक्रम रखा गया लेकिन इस आयोजन में भी कुछ चुनिंदा चेहरे नजर आए चुनाव के समय प्रथम पंक्ति में खड़े होकर कांग्रेस नेता कहलाने वाले ऐसे सैकड़ो चेहरे आंदोलन से दूरी बनाकर कांग्रेसी होने का ढोल पीटते नजर आते हैं चुनावी मौसम है भारी भरकम आंदोलन होकर जनता के बीच सरकार की पोल खोलने का समय है लेकिन बावजूद इसके सब कुछ टाय टाय फिश क्या इस प्रकार के आयोजनों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं की भीड़ जुटाना में वर्तमान शहर जिला अध्यक्ष रिंकू टाक अक्षम है या फिर अब भी कांग्रेस गुटो से बाहर नहीं निकली है जिन्हें बाहर होना था वह तो विधानसभा चुनाव के समय ही बाहर हो चुके हैं फिर अब कांग्रेस में सन्नाटा क्यों है,,,,?