बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) चुनाव आयोग के द्वारा खंडवा लोकसभा उप चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया है। इस के साथ ही राजनीति में हलचल तेज हो गई है। समय कम है प्रत्याशी के चयन का उंट किस करवट बैठेगा इस को लेकर कशमकश है। कांग्रेस के पास पूर्व मंत्री के रूप में इकलौते अरूण यादव मौजूद है तो भाजपा में उम्मीदवारी को लेकर अनेक नाम है सहमती किस पर बनेगी कुच्छ पता नही, अब तक जो नाम प्रमुख रूप से सामने आए है उनमें हर्षवर्धन सिंह चौहान, पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस के साथ ही पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ज्ञानेश्वर पाटिल के नाम का पैनल चर्चाओं में है खंडवा लोकसभा उपचुनाव को लेकर मुख्यमंत्री से लेकर संघ तक सबकी ओर से नाम पार्टी हाईकमान के समक्ष रखे गए है, पर इस में हाईकमान उलझन में यह है कि यह उपचुनाव जहां 2023 के विधानसभा का ट्रेलर वहीं उन नेताओं की प्रतिष्ठा के सवाल के साथ खुद अपनो से नुकसान का डर हाईकमान को सता रहा है। जिस से राजनैतिक जानकार हाईकमान को अवगत करा चुके है। इसी के चलते पार्टी हाईकमान ने मुख्यमंत्री और संघ के द्वारा सुझाए नामों के साथ हाई लेवल पर एक बडे नेता का नाम जोड दिया है, जिस से स्थिति अब सरोते में सुपारी जैसी हो गई है। भाजपा प्रत्याशी चयन को लेकर दिखावे को तो निश्चित है परंतु अंदरूनी तौर पर टिकिट फाईनल करने को लेकर अनिश्चित्ता की स्थिति में है। विधानसभा 2018 के चुनाव में बुरहानपुर जिले की दोनों विधानसभा सीट भाजपा के हाथ से निकल चुकी है, एक पर र्निदलीय नेता तो दूसरी पर कांग्रेस ने कब्जा कर लिया था, अब ऐसे में जब कि भाजपा सत्ता में है और राजनीतिक समीकरण के चलते नेपानगर के उपचुनाव में भाजपा ने सीट पर कब्जा कर लिया परंतु सुमित्रा कास्डेकर के भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ तालमेल नही बैठने के चलते उनके दो वर्ष का कार्यकाल संतोषजनक नही है, ऐसे में इस संसदीय उपचुनाव में बुरहानपुर जिले से भाजपा की झोली में क्या वोट पडेंगे कुच्छ नही कहा जा सकता। कांग्रेस के पास अरूण यादव र्निविवाद उम्मीदवार है, जिन की पूर्व केन्द्रीय मंत्री होने के नाते संसदीय क्षेत्र में अच्छी पकड है, उन्हें र्निदलीय विधायक कोई खास नुकसान नही पहुंचा पाऐगे ऐसा राजनैतिक जानकार मान रहे है, लेकिन यह सब कुछ भाजपा के प्रत्याशी का नाम सामने आने पर र्निभर है,यहां राजनैतिक जानकरो की माने तो भाजपा खंडवा संसदीय क्षेत्र में स्थानीय नेताओं की आपसी कलाह से बचने के लिए किसी बाहरी नेता को उम्मीदवार बनाया गया तो मुकाबला निमाडी बाबू और इंदौरी बाबू के बीच सीधे तौर पर होगा। अन्यथा अब तक जो नाम सामने आऐ है उनमें से किसी एक को भी टिकिट मिलता है चाहे वह संघ की ओर से सुझाया हुआ नाम हो या फिर मुख्यमंत्री की ओर से भीतरी घात होना राजनैतिक जानकार निश्चित मान रह है, खंडवा संसदीय क्षेत्र में आदिवासी और मुस्लिम वोट र्निणायक भूमिका में होता है जो भाजपा से दूर है अब ऐसे में भाजपा अपने वोटो के बल पर किस प्रकार इस चुनाव को जीत पाती है यह देखने वाली बात है, समय कम है शुक्रवार को नाम निर्देशन पत्र भरने के लिए अधिसूचना जारी हो जाऐगी ऐसे में भाजपा को अपना उम्मीदवार तय करने में अभी भी भारी मशक्कत करना है।