बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) जिला पंचायत कांग्रेसी विहीन है बावजूद इसके यहां कुछ भी अच्छा नहीं है अध्यक्ष चुनाव से लेकर समिति सभा पतियों तक आपसी खींचतान और गुटबाजी चरम पर है इसके चलते ग्रामीण विकास की 5 समितियों के चुनाव में स्वयं सदस्य रोड़ा बनकर गुटबाजी को उजागर कर रहे हैं जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव में जो राजनीति हुई वह किसी से छुपी नहीं है इस चुनाव के एक माह के भीतर संविधान के अनुसार ग्रामीण विकास की 5 समितियों के चुनाव हो जाना चाहिए इसके लिए दो बार बैठक भी आहूत की गई परंतु कोरम के अभाव में स्थगित हो गई बुधवार को पुनः बैठक आहूत की गई परंतु इसमें बड़ा राजनीतिक ड्रामा सामने आया जिला पंचायत के शेष 8 सदस्यों में से 5 सदस्यों ने ग्रामीण विकास की 5 समितियों से त्यागपत्र देकर संवैधानिक स्थिति खड़ी कर दी और तो और इस त्याग पत्र से संगठन को भी अवगत नहीं कराया अब मामला प्रशासन के पास उच्च स्तर पर पहुंच कर मार्गदर्शन मांगा गया है दरअसल जिले में भाजपा का एकछत्र राज है जिला पंचायत में कांग्रेस नदारद है फिर भी यहां आपसी गुटबाजी के चलते यहां ग्राम विकास की समितियों का गठन भी मुश्किल हो गया है एक गुट निर्दलीय और भाजपा समर्थित सदस्यों को स्थाई समितियों का सभापति बनाना पसंद नहीं कर रहा है अब ऐसे में 5 वर्षों तक किस प्रकार तालमेल बैठेगा और किस प्रकार जिला पंचायत की जिला सरकार चलेगी इस पर प्रश्न चिन्ह लग गया है जिला पंचायत के 8 सदस्यों में 5 समितियों का गठन नहीं हो पाने से जिला सरकार का संचालन नहीं हो सकेगा अब ऐसे में शासन के उच्च स्तर पर विचार-विमर्श जारी है देखें क्या गाइडलाइन तय होती है और क्या निर्देश प्राप्त होते हैं जिसके बाद समितियों के गठन और सभापति की नियुक्ति होती है भाजपा के किस गुट को इसमें क्या सफलता मिलती है इसका इंतजार रहेगा।