बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) साम्प्रदायक स्वहार्द को बिगाडने और गडबडी फैलाने वाली घटनाओं के सामने आने से ऐसा मालूम होता है कि शरारती तत्वों में पुलिस प्रशासन का खौफ नही या फिर यह सब कुच्छ एक सोची समझी साजिश का परिणाम है जो एक के बाद एक अंजाम देकर माहौल खराब करने का प्रयास किया जा रहा है, ऐसे मामलो पर पुलिस को सख्ती से कार्यवाही कर उन लोगों का पर्दाफाश करना चाहिए जो पर्दे के पीछे बैठ यह खेल खेल रहे है, यह कोई इत्तेफाक नही कि एक सप्ताह से कम समय के भीतर त्यौहारी सीजन में दो स्थानों पर धार्मिक स्थलों में तोड फोड होना, पुलिस ने इन दोनों ही मामलो में आरोपीयों को धरदबोचा है लेकिन केवल आरोपीयों के पकडे जाने से क्या शहर की शांति व्यवस्था कायम होगी। ऐसे शरारती तत्वों के आकाओं की खोज जरूरी है, दोनों ही मामलो में लोगों ने जहां सहयोग किया वहीं पुलिस भी मुस्तैद रही लेकिन ऐसी क्या वजह है जो शहर की शांति को भंग करने की चुनौती दी जा रही है, जिला कलेक्टर और पुलिस अधिक्षक ऐसे मामलों को लेकर सख्त है, सोशल मीडिया पर कमांड कस रखी है तो शरारती तत्व मैदानी हरकत कर पुलिस प्रशासन को चुनौती दे रहे है, ऐसे मामलों के पिछले इतिहास पर नजर दौडाई जाऐ तो अब तक राजनैतिक लोग सामने आए है और अब जब कि देश में अनेक संवेनशील मामलों पर राजनीति गर्म है ऐसे में अमन के टापू गंगा जमनी संस्कृति के शहर बुरहानपुर में इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम देना चिंता का विषय है जिले के संवेदनशील पुलिस कप्तान ऐसे मामलों पर सख्त है लेकिन लगातार शहर में इस प्रकार की घटनाओं का सामने आना किसी बडी घटना को अंजाम देने की ओर इशारा करता है जिस का पर्दाफाश किया जाना अवश्यक है।