बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) म.प्र. शासन के स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा प्रार्थमिक शालाओं में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत बीपीएल परिवार के बच्चो को नर्सरी से प्रार्थमिक शाला में प्रवेश हेतु प्रवेश की पात्रता दी गई है। वर्ष 2020 में कोरोना संक्रमण के चलते स्कूलों में प्रवेश की प्रक्रिया को पूरा नही किया जा सका जिस के चलते वर्ष 2021 में दो वर्षाे के लिए विभाग द्वारा प्रवेश की प्रक्रिया के तहत पात्रो से आर.टी.ई के तहत आवेदन आमंत्रित किए गए लेकिन इस में भी विभाग की लापरवाही और पोर्टल पर तकनीकि गडबडी होने के चलते पात्रों को प्रवेश नही मिल सका जिस को लेकर पालक जुनैद अख्तर के द्वारा स्कूल शिक्षा विभाग सहित मुख्यमंत्री हेल्पलाईन तक शिकायत भी की गई परंतु विभाग उनकी शिकायत का निराकरण नही कर सका। पालक जुनैद अख्तर का कहना है कि विभाग पालको के आवेदन बिना कारण बताऐ निरस्त तो कर देता है परंतु निरस्त करने का कारण पालकों को नही बताया जाता जिस के चलते पालक पुन: वैसी ही गलती आवेदन में करते है जिस से उनका आवेदन निरस्त होकर अवसर समाप्त हो जाता है, जुनैद अख्तर का कहना है कि पालको को उनके द्वारा कि जाने वाली गलती से अवगत कराऐ। इसी मामले को लेकर मुख्यमंत्री हेल्पलाईन तक शिकायत की गई परंतु शिकायत का कोई निराकरण नही निकला वहीं आवेदन के मामले में पालको की एक शिकायत यह भी सामने आई है कि पोर्टल पर शाला के नाम की प्रविष्टी के लिए दस ऑपशन दिए होना बताया जाता है, परंतु आवेदन की प्रविष्टी के समय केवल तीन ऑपशन खुलने से पालक तीन से अधिक स्कूलों के ऑपशन भरने से वंचित रह जाते है और यहीं कारण है कि ब्लाक सहित पूरे जिले में सैकडो नवनिहाल शालाओं में प्रवेश लेने से वंचित रह गए है जिस से जहां पात्रों को प्रवेश नही मिला वहीं स्कूलों में आरटीई के कोटे की सीट खाली होने से निजी स्कूलो को आर्थिक हानी भी उठानी पड रही है। इस पूरे मामले पर बीआरसी राजकुमार मण्लोई से बात की गई तो उन्होने स्वीकार किया कि ब्लाक सहित जिले में आरटीई के तहत प्रवेश पूरे नही हुए है तथा सीटे खाली है वहीं उन्होने पोर्टल में तकनीकि त्रुटी पर सफाई देते हुए कहा कि ऐसा नही है ऑपशन क्षेत्र अनुसार खुलते है। सरकार द्वारा शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत स्कूलों में प्रवेश देने की बात तो करती है परंतु विभाग की खामीयों पर पर्दा डाल पालको पर इस की जिम्मेदारी डाल अपना पल्ला झाड रही है जिस से सैकडो पात्रों को शालाओं में प्रवेश से वंचित होना पडा है।