बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) भोपाल के हमीदिया अस्पताल में हुए अग्नि कांठ के बाद स्वास्थ्य विभाग जागा और अब निजी अस्पतालों की मान्यता मापदण्ड और अन्य कमीयों की छानबीन के लिए कमेटी बनाकर निजी अस्पतालों की जांच का बीडा उठाया है, अब तक इस कमेटी ने शहर भर के जिन अस्पतालों की जांच की उन में योग्य स्टाफ से लेकर मांपदण्डो के विपरित खामीयां और कमी सामने आई है, जिस पर सीएचएमओ की ओर से उन्हें नोटिस जारी कर एक माह में सुधार करने का समय दिया गया है, लेकिन यहां प्रश्न यह है कि शहर के निजी अस्पतालो में यह कमीयां पहले दिन से हंै और आगे भी इन में नर्सिंग होम अधिनियम और मांपदण्डो में सुधार की कोई गुंजाईश नजर नही आ रही है, क्युं कि गुड अस्पताल जैसे अनेक अस्पताल किराय की जगह पर चल रहे है वहां नर्सिंग होम अधिनियम के तहत सुधार की कोई गुनजाईश नजर नही आती ऐसे में भला एक माह के बाद क्या परिणाम सामने आऐगे वहीं इन निजी अस्पतालो में तकनीकि मांपदण्डो के अनुसार आपरेशन थेएटर नही है पर यहां धडल्ले से ऑपरेशन भी हो रहे है जो मरीजो की जान के लिए खतरा बने हुए है। जहां एक ओर शहर के अस्पतालो की मांपदण्ड के अनुसार खामीयां ढूंढने निकला है वहीं स्वास्थ्य विभाग के अपने जिला अस्पताल में सैकडो कमीयां है चाहे नियमानुसार वार्ड में भर्ती मरीजो के अनुपात में नर्सिंग स्टाफ और डाक्टर की बात हो या फिर जिला चिकित्सालय में विशेषज्ञ डाक्टरो का मामला हो या फिर तकनीकी स्टाफ की बात करे यहां एक्सरे से लेकर अन्य मामलो के लिए कोई रेडीयों लाजिस्ट वर्षो से नही है फिर भी एक्स रे हो रहे है, इसी प्रकार ईएनटी के लिए जिला अस्पताल में डाक्टर नही है ऐसी ही स्थिति गायनिक व अन्य विभागो की है जहां अनेक कमीयों के साथ जिला अस्पताल में ऐसे अयोग्य और बाहरी व्यक्ति डाक्टर की कुर्सी पर बैठ कर अकस्मिक विभाग में डयूटी कर रहे है जिन की अस्पताल में किसी भी मद से कोई पद स्थापना नही है। जिला चिकित्सालय में पदस्थ डाक्टर आकस्मिक और रात्रीकालीन डयूटी के स्थान पर उन्हें बैठाकर अपनी डयूटी करा रहे है यह सिलसिला लंबे समय से चल रहा है पर सीएचएमओ का और सीएस का इस ओर कोई ध्यान नही है। यदि नवागत मुख्य चिकित्सा एंव स्वास्थ्य अधिकारी इन्हें ही सुधार ले तो बडा काम होगा, उसके बाद शहर भर के नर्सिंग होम की चिंता करे।