बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) लोकसभा उपचुनाव के परिणाम आने के साथ ही भाजपा और कांग्रेस में जीत का श्रय तो हार का ढीकरा फोडने की राजनीति गर्म है। लोकसभा उपचुनाव में उसकी जीत को लेकर जहां भाजपा जिला अध्यक्ष को कुशल संगठक माना जा रहा है तो वहीं कांग्रेस में जिला अध्यक्ष के सर हार का ढीकरा फोड कर परिर्वतन की बात की जा रही है। उपचुनाव में कांग्रेस की हार पर प्रदेश स्तर पर मंथन का दौर जारी है, कांग्रेस के इस मंथन पर राजनैतिक जानकार कुच्छ अलग ही विषलेषण कर कांग्रेस की हार को जीत और भाजपा की जीत को हार बताते हुए तर्क दे रहे है कि वर्ष 2019 में दिवंगत सांसद नंदकुमार सिंह चौहान कांग्रेस के अरूण यादव से 2.65 हजार से अधिक वोट लेकर यह सीट जीते थे तथा उस समय भाजपा का वोट प्रतिशत 57.14 था तथा मोदी लहर का चमत्कार था, वहीं 2019 में कांग्रेस का वोट प्रतिशत 38.52 था लेकिन वर्ष 2021 के लोकसभा उपचुनाव में भाजपा की प्रदेश सरकार ने यह लोकसभा का उप चुनाव लडा मुख्यमंत्री से लेकर केन्द्रीय मंत्रीयों ने क्षेत्र में प्रचार किया तो भाजपा प्रत्याशी केवल 82 हजार वोट लेकर विजय हुए हैं और उसका वोट प्रतिशत 49.85 रहा, यहां भाजपा को 8 प्रतिशत वोट का नुकसान उठाना पडा है। वहीं इस उपचुनाव में कांग्रेस की ओर से पूरे प्रचार में केवल पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ प्रमुख स्टार प्रचारक होकर कांग्रेस का प्रचार किया प्रदेश सरकार के सामने बिना दल बल और कार्यकर्ताओं की फौज के बगैर भाजपा को कडी टक्कर देकर कांग्रेस का वोट 5 प्रतिशत बढा है वहीं भाजपा की लाखों की जीत को हजारों में समेट दिया। ऐसे में राजनैतिक जानकार इसे कांग्रेस की सैद्धांतिक जीत मानकर भाजपा की सैद्धांतिक हार मान रहे है, राजनैतिक जानकारों का यह भी मानना है कि परिणाम के बाद हार जीत का ढीकरा फोडने से पहले यह भी देखना होगा कि पिछले लंबे समय से कांग्रेस आपसी गुटबाजी का शिकार होकर कमजोर होने के बाद इस चुनाव में अपना वोट प्रतिशत बढाया है, जिस से कांग्रेस हार कर भी चुनाव जीती है अब ऐसे में कांग्रेस की इस हार पर ढीकरा फोडने की राजनीति राजनैतिक जानकारों की दृष्टि से उचित नही मानी जा रही है।