बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) 30 करोड की लागत से बने जिला अस्पताल मे प्रवेश के लिए पांच द्वार हे जिन पर तीन द्वार पर ताले जडे हुए है, वहीं प्रथम और द्वतीय तल पर जाने वाले सीडी के मार्गो पर भी ताले जडकर उन्हें भी बंद कर रखा है। इस रास्तों को बंद करने का तर्क पूर्व में अस्पताल प्रशासन के द्वारा सफाई व्यवस्था को बनाऐ रखना बताया गया था अब जब कि आऐ दिन अस्पतालों में आगजनी की घटनाऐं सामने आने और वहां लोगों के जलकर मरने की खबरों से रौगटे खडे होते है, वहीं बुरहानपुर के जिला अस्पताल के मुख्य द्वार सहित अस्पताल से बाहर जाने वाले रास्तों को ताला डालकर बंद रखना आकस्मिक घडी में भारी पड सकता है। भोपाल के हमीदिया अस्पताल और महाराष्ट्र के एहमदनगर के कोरोना अस्पताल में अग्नि कांड के सामने आने से अब यहां भर्ती मरीजो और उनके परिजनों में दशहत का माहौल है। अस्पताल के प्रवेश द्वार को बंद रखने और प्रदेश की राजधानी के मुख्य अस्पताल में अग्नि कांड की घटना सामने आने पर अस्पताल अधिक्षक डॉ शकील खान से बात की गई तो उन्होने तर्क देते हुए बताया कि अस्पताल में अग्री शमक व्यवस्था पूरी तरहां चांक व चौबंद है, जिस की समय समय पर जांच भी की जाती है, फिर भी इन घटनाओं को देखते हुए अस्पताल के प्रवेश द्वार तथा सीडियों के मार्ग को खोलने के सम्बंध में समीक्षा कर इन्हें खोलने की कार्यवाही की बात कही गई है। यहां यह ज्ञात हो कि बुरहानपुर का जिला अस्पताल के दो मंजला नवीन भवन में वर्तमान में 200 बिस्तरों पर मरीज भर्ती है जिस के साथ अटेंडेड भी होता है ऐसे में अस्पताल परिसर में स्टाफ सहित एक समय में पांच सौ लोग मौजूद होते है जिन की सुरक्षा का प्रश्र है, अस्पताल प्रशासन को चाहिए कि वह प्रवेश द्वार पर लगे ताले खोलकर आवागवन व्यवस्था को बहाल करे ताकि किसी अनहोनी से बचा जा सके।