पांच दिवसीय दिपावली पर्व पर गेंदे का फूल बना लोगों की आंखो का तारा

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बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) बुधवार 2 नवम्बर से पांच दिनो तक चलने वाले दिपावली त्योहार के मद्देनजर जहां बाजारों में चहल पहल बढी है। बुधवार धनतेरस से आरंभ हुआ दिपावली पर्व शनिवार 6 नवंबर भाई दूज पर समाप्त होगा। इस बीच जहां आवागवन में वृद्धि हुई है वही बाजारो में खरीदारी को लेकर गेहमागहमी का माहौल देखा गया है। दिपावली के शुभ अवसर पर पूजा से लेकर सजावट तक गेंदे के फूलों का अपना एक महत्व है, गेंदे का फूल जहां लक्ष्मी पूजा में उपयोग में लाया जाता है वहीं इस से घरों और व्यवसायक प्रतिष्ठानों की सजावट भी की जाती है। पांच दिवसीय दिपावली पर्व के अवसर पर धनतेरस से लेकर गोर्वधन पूजा तक इस की मांग होती है। ऐसे में इस वर्ष गेंदे के फूल 50 से 70 रूपये से अधिक महंगा होने से इस के भाव आसमान छू रहे है। वहीं गेंदा उत्पादक किसान इस की पूर्ति करते है साथ ही इंदौर जलगांव आदि से भी यहां भारी मात्रा में गेंदे का फूल पहुंचता है। गेंदे के महंगे दाम के सम्बंध में फूल विक्रेता उसमान भाई ने बताया कि दिपावली पर्व पर गेंदे की अधिक मांग होती है जिस की पूर्ति पडोसी जिलो से की जाती है, परंतु इस वर्ष 40 प्रतिशत से अधिक उत्पादन कम होने से भाव में तेजी है। 50 से 70 रूपये से अधिक भाव में गेंदा बिक रहा है। धनतेरस से धार्मिक कार्यो और व्यवसाय प्रतिष्ठानो में गेंदे के फूल की महत्व देखा गया है। लक्ष्मी पूजन और मकानो और व्यवसायक प्रतिष्ठानों की सजावट में आने वाला गेन्दे का फूल इस समय लोगों की आंख का तारा बना हुआ है। जिस के चलते 50 से 70 रूपये प्रति किलो से अधिक के दामो पर बिक रहा है। पांच दिन तक चलने वाले दीप उत्सव के चलते प्रतिदिन तीन क्वंटल से अधिक गेन्दे की खपत आंक कर इस की व्यवस्था की गई है। त्योहारो के इस सीजऩ में जहां फूलों का व्यवसाय करने वालों के अतिरिक्त अन्य व्यवसाईयों के द्वारा भी फूटपाथ पर दुकाने लगाकर इस की बिक्री की जाती है जहां ग्राहकी भी अच्छी होती है। इसी के साथ लक्ष्मी पूजन में बताशे और चावल से बनी खिलीयों का भी अपना महत्व है। मिटटी से बने विशेष प्रकार के बर्तनो में रखकर इसका वितरण भारतीय परम्परा है। इस की भी बाजार मे अच्छी मांग देखी गई है।

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