बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) देश के प्रसिद्ध गांधी वादी विचारक, चिन्तक व जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता कुमार कलानंद मणी आगामी 17 फरवरी को बुरहानपुर पधार रहे हैं यह जानकारी गांधी विचार मंच की ओर से जारी एक वक्तव्य में देते हुए बताया गया है कि है उन्होने कई सामाजिक आन्दोलनो का नेतृत्व किया है वे 17 फरवरी को बुरहानपुर मे गांधी विचार के एक कार्य क्रम में भाग लेगे और बुरहानपुर मे हाथ करघा और पावरलुम के इतिहास का अध्ययन करने स्थानीय पावरलुम से जुडे लोगो से संवाद स्थापित करेगे बहु आयामी व्यक्तित्व के धनी कलानन्द मणि 1971से 1973तक बाबा विनोबा भावे के सानिध्य मे भुदान व सर्वोदय आंदोलन के पर्ण कालिक कार्यकर्ता रहे हैं l 1974 मे छात्र आंदोलन मे लोकनायक जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व सम्पूर्ण क्रान्ति के लिए चलाये गये बिहार आंदोलन मे कई बार जेल गये l 1975 मे आपात काल के विरोध मे 4 महिने जेल में रहे l और जेल से बाहर आने के बाद उन्होने राज्य व्यापी भुमिगत आंदोलन भी चलाया तथा जय प्रकाश नारायण द्वारा गठित राष्ट्रीय छात्र युवा संघर्ष वाहिनी का नेतृत्व किया और छात्रो के लिए राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर चलाये l 1987 मे पश्चिम घाट बचाओ मार्च की शुरुआत की तथा दोनो घाटो के दोनो छोरो से एक विशाल मार्च निकाला l उन्होने राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सद्भाव को बढाने के लिए गोवा में नीट इन्डिया सायकल रैली का भी सफल और प्रभावी आयोजन किया स्वराज और पन्चायती राज पर अनेक शिविर चलाये अंध विश्वास के खिलाफ भी अंध विश्वास समिति का गठन कर अंध विश्वास के खिलाफ आंदोलन चलाया l शान्ति व युद्ध विरोधी अभियान के तहत उन्होने देश विदेश में अनेक कान्फ्रेस और शिविरॊ मे भाग लिया तथा फ्रान्स, जर्मनी, फिनलैन्ड, स्वीडन, युनाईटेड किन्गडम, डेनमार्क, नार्वे, नेपाल, बान्ग्लादेश, श्री लन्का मेक्सिको आदि देशों की यात्रा कर गांधी विचार और युद्ध विरोधी अभियान और सेमिनार मे भाग लिया l उन्होने सेवाग्राम आश्रम में पन्चायती राज व स्वराज्य पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का भी आयोजन किया l गोवा लोक समिति,पीसफूल सोसायटी आफ इंडिया, पीस फुल ट्र्स्ट, गांधी युवा फेलोशिप, शान्ति पुर्ण समाज, वनवासी सन्घठन, पश्चिम घाट बचाओ आंदोलन, इको कोरम गोवा, नव निर्माण अभियान ग्राम विकास ,इन्डियन रिवर नेटवर्क आदि संस्थाओ के वे संस्थापक भी है lउनके वृहद लेखन और मौलिक प्रकाशन की श्रुन्खला मे गांधी वादी विकास कार्य और सरकार की नीति, सामाजिक, राजनीतिक आर्थिक स्थिति और गांधीवादी परिप्रेक्ष्य, पश्चिम घाट की जैविक विविधता के सरक्षण के लिए गैर सरकारी सन्घठनो की सक्रियता का इतिहास, शान्ति और विकास के लिए गांधी वादी द्रुष्टिकोण आदि के साथ स्वशासन व्यवस्था बनाम ग्राम स्वराज्य पुस्तको के प्रकाशन के अलावा उनके लेख देश के प्रसिद्ध अखबारों में समय-समय पर प्रकाशित होते रहे हैं!