बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) जिला चिकित्सालय प्रशासन अपनी कमीयों को छुपाने के लिए यहां आने वाले और भर्ती मरीजो और परिजनो की जान के साथ खिलवाड कर रहा है, जिस से किसी अनहोनी पर बडा हादसा हो सकता है। दरअसल स्टाफ की कमी से यहां की सफाई एंव अन्य व्यवस्थाऐं प्रभावित है जिस पर पर्दा डालने के लिए अस्पताल प्रशासन ने तुगलकी फरमान जारी कर अस्पताल भवन के चार से अधिक गेट पर ताले जड मरीजो और उनके परिजनो को कैद कर एक गेट से प्रवेश की व्यवस्था की गई है। उस पर भी अस्पताल परिसर में उपचार के लिए आने वाले मरीजो से दस रूपये का शुल्क प्रवेश के नाम पर तथा दस रूपये चिठठी के नाम पर 20 रूपये की लूट की जा रही है जिस से यहां आने वाले मरीज नाराज और परेशान है। देश का बुरहानपुर का यह पहला अस्पताल होगा जहां ओपीडी में उपचार कराने आने वाले मरीज से प्रवेश शुल्क वसूला जा रहा है। यहां हम आप को बता दें की जिला चिकित्सालय शहर से चार किमि दूर अतंरप्रांतीय राज्य राजमार्ग पर स्थित है जो जिले की जनता को स्वास्थ्य सुविधाऐं उपलब्ध कराने के लिए सरकारी अस्पताल के रूप में इकलौता है। शहर का गरीब मुफत में इलाज कराने यहां पहुंचता है परंतु अस्पताल प्रबंधन ने ओपीडी में प्रवेश के लिए भी 10 रूपये शुल्क लागू कर इसे भीड भाड पर रोक लगाने का नाम दिया है, जब कि यह सरकारी अस्पताल होकर सार्वजनिक है यहां किसी प्रकार का शुल्क नही लगना चाहिए ऐसे में अस्पताल प्रशासन ने चार से अधिक दरवाजो पर ताले जड मरीजो और उनके परिजनो को कैद कर दिया है। अस्पताल भवन में किसी प्रकार की अनहोनी होने तथा भगदड की स्थिति में यहां बडा हादसा होने से इंकार नही किया जा सकता है। इस व्यवस्था पर अस्पताल प्रशासन को पुन: विचार कर सभी दरवाजे खोले जाऐ तथा ओपीडी में प्रवेश निशुल्क कर अन्य व्यवस्थाओं को सुधारा जाऐ तो यहां आने वाले मरीजो को सुविधा मिलेगी। जिले के सरकारी अस्पताल की क्षमता 200 बिस्तरों की है परंतु यहां हर समय तीन सौ से अधिक मरीज भर्ती होकर उपचार करा रह है।