देश में मदरसों की शिक्षा सरकारी स्कूलों का विकल्प बन रही

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बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) देशभर के दूरदराज के इलाकों में सरकारी स्कूलों की कमी मुस्लिम अल्पसंख्यक बच्चों के लिए समस्या बनी हुई है समाज ने इस कमी को दीनी तालीम के मदरसों में आधुनिक शिक्षा को जोड़कर अब यह मदरसे सरकारी स्कूलों का विकल्प बन कर सामने आ रहे हैं लेकिन इन्हें और आधुनिक करने की जरूरत है। मुसलमानों में शिक्षा का प्रतिशत बढ़ाने के उद्देश्य से जो सर्वे निजी तौर पर हुए हैं उसमें यह बात सामने आई है इसके लिए मानव संसाधन मंत्रालय को भी ध्यान देने की जरूरत है, देश भर में अब तक मदरसों में दीनी तालीम हदीस क़ुरआन की तालीम देना ही मकसद रहा है लेकिन बदलते हालात और मुसलमानों में तालीमी बेदारी ने उनका ध्यान इस ओर आकर्षित किया है और अब मदरसा शिक्षा जो अब तक दीनी तालीम के लिए जानी जाती थी वहां अब आधुनिक शिक्षा ने भी स्थान लिया है यहां स्कूली निसाब के मान से तालीम दी जा रही है। इसके लिए अनेक प्रदेश सहित केंद्र की ओर से भी मदरसा बोर्ड के गठन कर उन के माध्यम से परीक्षाएं आयोजित किए जाने का सिलसिला शुरू हुआ है जिन्हें केंद्र और राज्य सरकारों ने मान्यता प्रदान की है। देशभर में 176 मिलियन आबादी मुसलमानों की है जो करोड़ों में है लेकिन अगर हम साक्षरता दर की बात करें तो यहां मुसलमानों का साक्षरता प्रतिशत राष्ट्रीय स्तर पर केवल 74 प्रतिशत से भी कम आंका गया है मुसलमानों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के चलते देश में केवल 68 प्रतिशत मुसलमान पढऩे लिखने के लिए सक्षम है, ऐसे में मदरसा शिक्षा उनके जीवन स्तर को उपर उठाने में सहायक दिखाई दे रही है। मदरसों में दीनी तालीम कुरआन हदीस के साथ मॉडर्न शिक्षा के रूप में गणित दर्शन शास्त्र जैसे विषय जुडऩे से इस्लामी तत्वों की समझ को सुगम बनाती दिखाई दे रही है। मदरसे मुस्लिम संस्कृति में एक अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं धार्मिक उपदेशों को पढऩे सीखने और बनाए रखने और पालन करने के स्थानों के रूप में कार्य करते हैं लेकिन अभी भी मदरसे छात्रों को आधुनिक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करने में सक्षम नहीं है। मदरसों की पारंपरिक शिक्षा पद्धति उन्हें रोजगार और आगे की शिक्षा के अवसरों को कम कर रही है जिसके लिए मदरसों में और आधुनिक शिक्षा पद्धति में सुधार की आवश्यकता को महसूस किया जा रहा है आज के प्रतिस्पर्धा के बाजार में तकनीकी कौशल संचार संसाधन इसमें बाधा बने हैं मदरसों को आधुनिक करण के लिए प्रदेश की सरकारी आर्थिक मदद भी दे रही है जिन्हें लेकर मदरसों को आधुनिकरण पाठ्यक्रमों से जोड़कर मदरसा शिक्षा से तालीम हासिल करने वाले छात्रों को प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया जा सकता है।

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