अल्पसंख्यक राजनीति में पेज पलटा पांसा शहनाज अंसारी बनी अधिकृत प्रत्याशी कहा लक बाय चांस मिला टिकट

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बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) नगरी निकाय चुनाव में महापौर टिकट को लेकर फिर एक बार अल्पसंख्यक प्रत्याशी को टिकट देने का जिन बोतल से बाहर निकला और पूरे मामले में उथल-पुथल मचा दी दरअसल नगर निगम महापौर के लिए गौरी दिनेश शर्मा का नाम तय माना जा रहा था अंतिम रूप से कांग्रेश के जिम्मेदार नेता नाम लेकर प्रदेश नेतृत्व तक पहुंचे और नाम पर मोहर लगती इससे पूर्व कांग्रेश की गुटी राजनीति में उबाल आया अपने वर्चस्व की लड़ाई को लेकर अल्पसंख्यक टिकट पर दांव खेल पूरे मामले को भंग कर दिया कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष हमीद काली शहनाज नफीस मंशा खान का नाम लेकर प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस कमलनाथ के समक्ष रख पूरे मामले पर पेज डाल दिया तो ऐसी स्थिति में अरुण यादव घुटने भी पासा पलटा और शहनाज इस्माइल अंसारी का नाम रख टिकट की बाजी मार ली लेकिन क्या अल्पसंख्यक कोटे की मांग रखकर टिकट लेने वाले नेता अल्पसंख्यक प्रत्याशी को जिता पाएंगे क्योंकि टिकट की राजनीति के समय अल्पसंख्यक याद आते हैं लेकिन चुनाव होने पर यही कांग्रेसी वोट नहीं डलवा पाते इसमें भी राजनीति होती है और अल्पसंख्यक प्रत्याशी हार जाता है ऐसा 2010 में इस्माइल अंसारी और 2015 में उनकी पत्नी शहनाज अंसारी के साथ हो चुका है तब भी वहीं कांग्रेसी नेता थे और अब भी वहीं कांग्रेसी नेता है 2022 में फिर राजनीति की गहरी चाल में शहनाज अंसारी को कांग्रेस उम्मीदवार बना कर राजनीति के तहत खेल खेला गया जबकि शहनाज अंसारी इस टिकट को लक बाय चांस मान रही हैं उनका कहना है कि वह टिकट की दौड़ में शामिल नहीं थी फिर भी पार्टी ने उन पर विश्वास जताया है तो वाह जीत का प्रयास करेंगी यह बात उन्होंने शुक्रवार को मीडिया से रूबरू होकर कही है प्रदेश का आलाकमान किस सर्वे के आधार पर ऐसे निर्णय लेता है यह तो वह जाने परंतु इससे कांग्रेश को नुकसान होगा लोकसभा के उपचुनाव में भी ऐसा ही किया गया था यदि कांग्रेश जमीनी स्तर पर ध्यान रखकर टिकटों का निर्णय करती तो लोकसभा उपचुनाव और महापौर 2022 के चुनाव यह दोनों सीट कांग्रेस की झोली की है अब भी वक्त है अगर कांग्रेस जमीनी स्तर पर कोई बदलाव करे तो महापौर कांग्रेश की झोली में गिर सकता है।

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