बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) वैश्वीकरण के इस दौर में मुस्लिम महिलाओं की बढ़ती भागीदारी प्रजनन दर में कमी और साक्षरता में बढ़ोतरी से उनका मान बड़ा है पहले की तुलना में जहां मुस्लिम महिलाएं आत्मनिर्भर होकर समाज में विशेष स्थान पाने में आगे आई हैं इससे संबंधित एक सर्वे में पता चला है कि जहां पहले मुस्लिम महिलाओं की प्रजनन दर हिंदू महिलाओं की प्रजनन दर से अधिक हुआ करती थी लेकिन आज बढ़ते साक्षरता के इस युग में यह धारणा बदली है और मुस्लिम महिलाओं की प्रजनन दर में कमी आई है मुस्लिम समाज आज रूढ़ीवादी प्रथाओं को तोड़कर आगे आया है लड़कियों की शिक्षा और रोजगार के अधिक अवसर प्राप्त किए हैं धार्मिक शिक्षा के साथ आधुनिक शिक्षा मे मुस्लिम महिलाओं के जीवन स्तर को ऊपर उठाया है एक सर्वे के अनुसार जहां पहले मुस्लिम महिलाओं को घर से बाहर निकलने पर पाबंदी हुआ करती थी लेकिन आधुनिक शिक्षा और रोजगार ने उन्हें आगे लाकर खड़ा कर दिया है और इसका पूरा श्रेय स्वयं उन्हें ही दिया जाता है कि अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप पर्दे का पालन कर अपने को आगे बढ़ाकर वह आज किसी से पीछे नहीं है तालीम के क्षेत्र में मुस्लिम महिलाओं ने हर क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त की है और यही कारण है कि मुस्लिम समाज भी सीमित परिवारों के सिद्धांतों को मानकर तरक्की कर रहा है जिससे देश की भी तरक्की हो रही है समाज में मुस्लिम महिलाएं भी मर्दों के साथ हर क्षेत्र में अपनी सफलता के झंडे गाड़ नाम कमा रही है पिछले तीन दशकों में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुए हैं इन सुधारों से महिलाओं को अधिक लाभ हुआ है आज देश में अल्पसंख्यक समुदाय मुस्लिम महिलाओं ने समग्र उन्नति कर अपने जीवन स्तर को सुधारा है लेकिन अब भी इस मामले में बहुत कुछ सुधार करने की आवश्यकता है साक्षरता और शिक्षा किसी भी समुदाय के सशक्तिकरण के प्रमुख कारण है तथा यह भी सच है कि महिलाएं समाज का आधा हिस्सा मानी जाती है इसलिए इस वर्ग की साक्षरता पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए।