बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) कोरोना के चलते दो वर्ष के अंतराल के बाद तीज त्योहारो को आजादी के साथ मनाने का अवसर मिला है। लेकिन इन दो वर्षो में हालात में बहुत बदलाव भी आया है, जिस के चलते अब इस आजादी से डर लगने लगा है, हाल ही में प्रदेश के दो जिलों में बिगडे हालात बुलडोजर की राजनीति और लाउड स्पीकर विवाद ने कई सवाल खडे कर दिए है, जिस पर देश स्तर पर चर्चा चल रही है, इस के बीच ईद और पशुराम जयंती एक साथ होने से प्रशासन की परीक्षा की घडी है, अब यह प्रशासन पर र्निभर है कि दोनों त्योहार किस प्रकार सम्पन्न कराता है, पिछले दिनों हुए त्योहारों पर प्रशासन की सभी ने प्रशंसा की यदि वह इसी प्रकार अडिंग रहा तो शहर के अमन चैन को कोई खतरा नही, जहां ईद के पर्व पर दो वर्ष बाद ईदगाह में नमाज होगी वहीं पशुराम जयंती का जुलूस भी निकलेगा। यह दोनों ही अवसर भीड भाड वाले अवसर होगे, जिस के लिए नजर रखने के लिए पुलिस की तीसरी आंख सीसीटीवी कैमरों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। इस के साथ ही प्रशासन दोनों ही अवसर की विडीयों शुटिंग कराए तो किसी भी शरारती तत्व पर बारीकी से नजर रखी जा सकती है। प्रशासन ऐसे संवेदनशील स्थानों पर विशेष नजर रखे जहां शरारती तत्व गडबडी कर सकते है, जिस से दूध का दूध और पानी साफ नजर आऐगा। वैसे जिला प्रशासन दोनों त्योहारो को लेकर बहुत सर्तक नजर आ रहा है, शहर के अन्य मार्गो पर भी अतिरिक्त रूप से कैमरे लगाऐ जा रहे है जिस की मॉनेटरिंग भी पुलिस अधिक्षक और जिला कलेक्टर के नेत्रत्व में कंट्रोल रूम से की जाऐगी। इस के साथ ही ड्रोम कैमरे भी घरों की छतों पर नजर गढाऐ हुए है, जिस से असमाजिक और शरारती तत्वों के हौसले पस्त होंगे मोहल्ला और शांति समितियों की बैठकों का दौर जारी है, इस सब के बावजूद कही कोई खुराफात ना हो इस के लिए अतिरिक्त सतर्कता की जरूरत है।