बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) पंचायत और निकाय चुनाव भाजपा और कांग्रेस के बीच की वर्चस्व की राजनीति में उलझ कर रह गए हैं पहले कमलनाथ फार्मूले के आधार पर निकाय चुनाव कराने की बात सामने आ रही थी फिर इसमें राजनीतिक पेज अटका तो सीधे जनता से महापौर और नगर पंचायत नगर परिषद के अध्यक्षों का चुनाव कराने की बात सामने आई लेकिन बदलते समीकरण में फिर भाजपा अध्यादेश के माध्यम से निकाय चुनाव को फिर फिफ्टी फिफ्टी अब महापौर का चुनाव सीधे जनता के माध्यम से कराने के लिए अध्यादेश ला रही है तो नगर पंचायत और नगर परिषद के अध्यक्षों का चुनाव पार्षदों के द्वारा कराने का प्रावधान किया गया है कांग्रेस ने अपने 15 माह के कार्यकाल के समय महापौर और नगर परिषद के अध्यक्षों के चुनाव को प्रत्यक्ष प्रणाली के स्थान पर अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने का कानून बनाया था लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद से ही भाजपा नगरी निकाय चुनाव को लेकर राजनीति के तहत इस कानून को बदलने के प्रयास करती रही है मामला न्यायालय तक पहुंचा फिर पुन्हा राजनीति हुई और अब सप्ताह भर की राजनीति कि उठापटक के बाद फिर एक बार निकाय चुनाव का मामला अध्यादेश पर आकर टीका है नए राजनीति समीकरणों के बीच भाजपा की सरकार ने संशोधित अध्यादेश राज्यपाल को भेज मुख्यमंत्री ने उनसे भेंट कर स्वीकृति का आग्रह किया अब क्योंकि राज्यपाल की मंजूरी अध्यादेश को मिल गई है ऐसे में नगर निगम में महापौर के चुनाव सीधे तौर पर जनता के द्वारा किए जाएंगे जिससे एक बार फिर नेताओं की बल्ले बल्ले हो गई है इस नए अध्यादेश से भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के चेहरे खिल उठे हैं परंतु फिर भी इसमें पेज यह है कि अब महापौर को लेकर भी आरक्षण की प्रक्रिया होगी इसको लेकर फिर दावेदारों में हु हा पुह की स्थिति देखने को मिलेगी राजनैतिक चकल्लस में यह चुनाव कब संपन्न होंगे इस का सभी को इंतजार है जबकि कोर्ट ने चुनाव आयोग को दो सप्ताह में चुनाव कराने की घोषणा के आदेश दिए थे।