बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) वक्फ विधेयक, 2025 भारत के विधायी इतिहास में एक महत्वपूर्ण विधयक है वक्फ संपत्तियों के कुशासन को उजागर करने वाला विधयक है बहुत लंबे समय तक, वक्फ प्रणाली कानूनी और प्रशासनिक लचीले पन से वेयर महफूज समझी जा रही थी जिसके चलते वक्फ संपत्तियों का धड़ल्ले से दुरुपयोग हो रहा था वक्फ बोर्ड भारत में सबसे बड़े भूस्वामियों में से एक बन कर उभरा है लेकिन को प्रशासन के चलते वक्त बोर्ड की संपत्तियों से मुस्लिम गरीबों को इसका कोई लाभ नहीं मिल कर शर्मायादार इन संपत्तियों पर कब्जा जमा कर दुरुपयोग करते देखे गए हैं केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक वक्फ बोर्ड के पास केंद्र सरकार के कई सरकारी इदारों से अधिक वक्फ बोर्ड की संपत्ति को आंका गया है 2025 का संशोधन इस प्रणालीगत असंतुलन को दूर करता है जिसमें वक्फ न्यायाधिकरण के लिए मामलों का निपटान करने के लिए 3 महीने की स्पष्ट समयसीमा शामिल है- यह कदम अंतहीन मुकदमेबाजी और नौकरशाही की उदासीनता को रोकने के उद्देश्य से उठाया गया है पारदर्शिता की कमी और भ्रष्टाचार के चलते करोड़ों की संपत्ति का प्रबंधन करने के बावजूद कई राज्य वक्फ बोर्ड समुदाय के कल्याण के लिए कुछ भी नहीं कर पाए हैं अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रति वर्ष वक्फ संपत्तियों से औसत आय चौंकाने वाली होती है नए विधेयक में अनिवार्य ऑडिट, डिजिटाइज्ड रिकॉर्ड और सख्त निगरानी के प्रावधान किए गए हैं राज्य वक्फ बोर्ड की संरचना में कम से कम दो मुस्लिम महिलाओं को अनिवार्य रूप से लेने का प्रावधान किया गया है जो मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों को मान्यता देता है। यहां यह समझना आवश्यक है कि इस विधेयक का विरोध कौन कर रहा है वह लोग जो वक्त की संपत्तियों से लाभ अर्जित कर रहे हैं उनके द्वारा इस विधेयक का सबसे अधिक विरोध किया जा रहा है विधेयक, 2025 मुस्लिम समुदाय के खिलाफ़ नहीं है, बल्कि समुदाय के लिए है। यह एक ऐसे भविष्य का वादा करता है जहाँ वक़्फ़ की संपत्ति का उपयोग शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के बजाय स्कूल बनाने, निजी हवेलियों के बजाय अस्पताल बनाने और अवैध धन के बजाय छात्रवृत्ति के लिए किया जाएगा वक़्फ़ के प्रती सामाजिक न्याय, शिक्षा और आर्थिक उत्थान का हिस्सा बन सकता है।