हाईकोर्ट का फैसला जिला बदर कार्यवाही अनुचित वन विभाग सकते में

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बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) वन अतिक्रमण पर वन विभाग की बड़ी कार्यवाही पिछले वर्ष सामने आई थी वनों पर अतिक्रमण करने तथा अवैध कटाई में संरक्षण देने के मामले में आदिवासी दलित संगठन के अंतराम अवासे पर वन विभाग ने जिला बदर की कार्यवाही करते हुए जनवरी 2024 में उसे कलेक्टर न्यायालय से जिला बदर कराया गया था जिसे अंतराम अवासे और दलित आदिवासी संगठन ने इस कार्रवाई को अनुचित बताते हुए इसकी अपील संभाग आयुक्त को करते हुए बताया था कि अंतराम अवासे और दलित आदिवासी संगठन अधिकारियों की मिली भगत भू माफियाओं के साथ मिलकर अवैध कटाई कर रहा है जिसे रोकने के लिए अवासे ने आवाज उठाई थी जिस का परिणाम उसे जिला बदर होने से भोगना पड़ा। संभाग आयुक्त से इस आदेश को निरस्त करने की गोहार लगाई थी परंतु अवासे की अपील खारिज कर जिला कलेक्टर के जिला बदर आदेश को यथावत रखा गया था जिस पर हाईकोर्ट में अपील की गई हाईकोर्ट ने कलेक्टर की जिला बदर कार्यवाही को अनुचित मानते हुए इसे राजनीतिक दबाव कार्यवाही मानते हुए कलेक्टर के आदेश को खारिज कर राज्य सरकार पर 50 हजार का जुर्माना लगाया तथा इस राशि को कलेक्टर से वसूल करने को कहा गया है। हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद वन विभाग सकते में आ गया है और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील के लिए कानून के जानकारों से सलाह ले रहा है। वन विभाग अंतराम अवासे को अवैध जंगल कटाई का मुख्य आरोपी मानता है जबकि दलित आदिवासी संगठन और अंतराम अवासे का मानना है कि वन विभाग में बदले की भावना से मिली भगत कर यह कार्यवाही की है अब जबकि कोर्ट ने सरकार पर जुर्माना भी लगाया है साथ ही यह भी कहा है की मुख्य सचिव जिला कलेक्टरों को निर्देश दे कि वह राजनीतिक दबाव में ऐसी कार्यवाही नहीं करें अब देखना यह है कि सरकार हाई कोर्ट के आदेश पर अपील करती है यह फिर कलेक्टर बुरहानपुर से जुर्माना यह एक बड़ा सवाल है।

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