बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) कांग्रेस की आपसी नूरा कुश्ती में उस समय तड़का लगा जब शहर कांग्रेश और ग्रामीण कांग्रेश अध्यक्षों ने लंबी चौड़ी भारी भरकम कार्यकारिणी की सूची जारी कर उसमें सैकड़ों नाम शामिल कर कहा गया है कि कार्यकारिणी में सभी वर्गों और गुड के लोगों को लेकर समन्वय स्थापित किया गया है जबकि हकीकत यह है कि शहर और ग्रामीण के दोनों अध्यक्ष अपने आप को जिला अध्यक्ष कह रहे हैं भला ऐसे में फिर सामान्य किस प्रकार स्थापित होगा शहर और ग्रामीण कार्यकारिणी की सूची में जिन लोगों को शामिल किया गया है उसमें ऐसे अनेक नाम है जिनका जमीनी राजनीति से दूर-दूर तक संबंध नहीं है केवल सूची को सुशोभित कर अपने को गौरवान्वित कर रहे हैं जबकि वर्तमान स्थिति में कांग्रे को ऐसे जमीनी कार्यकर्ताओं की आवश्यकता है जो जनता में अपनी पकड़ रखते हो जन आंदोलनों के माध्यम से वह जनता की समस्याओं को लेकर रोड पर उतरे हो लेकिन इस सूची में चुनिंदा नामों को छोड़ अन्य नाम केवल दिखाने भर के हैं की कांग्रेस ने सभी को स्थान दिया है विधानसभा के चुनाव सर पर हैं विरोधी दल भाजपा चुनाव को लेकर बूथ स्तर तक अपने को मजबूत कर चुकी है पर कांग्रेस अब भी आपसी नूरा कुश्ती और खींचतान से नहीं उबर पाई है कांग्रेस में जमीनी स्तर के नेताओं की कमी है लेकिन जो नए नाम सामने आ रहे हैं उसमें ऐसा कोई तेजतर्रार नहीं दिखाई दे रहा है जो सत्ता पक्ष को महंगाई बेरोजगारी और अराजकता पर मुंह तोड़ जवाब दे सके कांग्रे को चुनाव जीतने के लिए सत्ता पक्ष की नाकामियों को उजागर कर आमजन को यह बताने की जरूरत है कि वह केवल लोकलुभावन वादे कर रही है विकास कोसों दूर चला गया है शहर के विकास पर भाजपा का ध्यान नहीं है केवल कोरे सपने दिखाकर वोट बटोर रही है यह सब जनता तक अपनी बात पहुंचाने पर ही वह वोट हासिल कर सकती है ना कि आपसी गुटबाजी और अना को पालकर चुनाव नहीं जीता जा सकता बुरहानपुर विधानसभा पारंपारिक रूप से कांग्रेस का गढ़ रहा है लेकिन आपसी खींचतान के चलते यह सीट उसके हाथ से खिसक गई है इस लिए कांग्रे को गुटबाजी छोड़ अना को भूल पार्टी को सर्वोपरि मानकर उसके लिए काम करेंगे तो स्वयं और पार्टी दोनों को जिंदा रख सकेंगे।