पार्षदों की पीड़ा महापौर नगर निगम से नदारत ऑफिस का नहीं खुलता ताला

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बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) अजब निगम की गजब कहानी पार्षदों की पीड़ा सुनने को मौजूद नहीं महापौर पार्षद ढाई वर्ष से अधिक समय पार्षदों का बीता विकास कार्य को तरस रहे हैं नगर निगम बुरहानपुर में विपक्ष के उन प्रथम बार जीत कर आने वाले पार्षदों की पीड़ा नेता प्रतिपक्ष उप नेता प्रतिपक्ष और महापौर कोई सुनने वाला नहीं है जिससे प्रथम बार जीत कर आने वाले पार्षदों की छवि वार्डों में खराब हो रही है दरअसल नगर निगम में सत्ता और विपक्ष के बीच कोई पटरी नहीं बैठ पाने से शहर का विकास अवरुद्ध है नगर निगम स्तर से जो सुविधा शहर की जनता को मिलनी चाहिए वह नहीं मिल रही है वार्डों का विकास थमा हुआ है प्रथम बार जीत कर आने वाले पार्षद इस स्थिति से परेशान है उनका कहना है कि शहर की महापौर को प्रतिदिन नगर निगम में बैठकर पार्षदों और आमजन की समस्याएं और शिकायतें सुनना चाहिए परंतु महापौर निगम के अपने दफ्तर में महीनो नहीं पहुंचती है वह अपना सारा काम काज घर पर बैठकर चलाती है जो शहर की जनता के साथ अन्याय है वहीं विपक्ष के नेता और उप नेता प्रतिपक्ष भी अपनी जिम्मेदारियां से मुंह मोड़ कर बैठे हैं बजट बैठक को लेकर खूब ड्रामा हुआ कलेक्टर को शिकायत की गई बजट असंवैधानिक तरीके से पास किया गया इसको लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने जैसी सारी बातें ठंडे बस्ती में परेशान है तो केवल शहर का आम नागरिक जो अनेक परेशानियों से जूझ रहा है इस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को अपनी भूमिका का निर्वहन करना चाहिए ताकि शहर वासियों की समस्याओं का निदान हो सके जहां विपक्ष के प्रथम बार जीत कर आए पार्षदों की पीड़ा है वही सत्ता पक्ष के वह पार्षद भी इस स्थिति से परेशान है उनके वार्डो में भी विकास के कार्य नहीं होने से उनकी छवि पर भी बुरा असर पड़ रहा है शहर की सड़कों को लेकर सत्ता और विपक्ष दोनों ही पार्षद परेशान है जल आवर्धन योजना के समय पर पूरा नहीं होने से शहर की सड़कों का निर्माण नहीं हो पा रहा है जो बड़ी समस्या बनी हुई है!

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