बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) किसी भी निर्वाचित सदन को संचालित करने का अधिकार अध्यक्ष को होता है परंतु बुरहानपुर की भाजपा शासित परिषद में नियम अलग दिखाई दे रहे हैं दरअसल 21 अक्टूबर को नगर निगम परिषद का विशेष सम्मेलन महापौर के आग्ररा पर बुलाया गया बड़ी गहमा गहमी के बीच सदन की कार्यवाही अध्यक्ष अनीता यादव के नेतृत्व में चली तथा शाम 6 बजे अध्यक्ष के द्वारा सदन की कार्यवाही को 5 नवंबर तक स्थगित कर बैठक समाप्ति की घोषणा कर दी गई इसके साथ ही अध्यक्ष और कांग्रेस के विपक्षी पार्षद सदन से चले गए लेकिन नाटकीय रूप से भाजपा सत्ता पक्ष की महापौर माधुरी पटेल ने वरिष्ठ पार्षदों को अध्यक्ष की आसंदी पर बैठाकर मन माने ढंग से विपक्ष की गैर मौजूदगी में जल कर की राशि 50 से बड़ाकर 200 रूपये नामांतरण शुल्क 500 से बढ़कर 5000 तथा संपत्ति कर 25 प्रतिशत तक बढ़ाने के प्रस्ताव पास कर इसे विकास का नाम दिया। इसको लेकर कांग्रेस ने नियमों का हवाला देकर कलेक्टर एसपी से चारसोबीसी की शिकायत कर महापौर सहित पार्षदों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की वहीं भाजपा ने भी कलेक्टर को ज्ञापन देकर अध्यक्ष द्वारा बैठक स्थगित करने को असंवैधानिक बताया भाजपा कांग्रेस शिकायतों को एसपी कलेक्टर ने ठंडे बस्ते में डालकर कोई कार्रवाई नहीं की इसी बीच 28 अक्टूबर को परिषद अध्यक्ष ने नोट शीट के माध्यम से आयुक्त संदीप श्रीवास्तव को स्थगित बैठक 5 नवंबर होने से आवश्यक व्यवस्थाएं करने के निर्देश दिए परंतु आयुक्त के द्वारा 5 नवंबर मंगलवार को बैठक की कोई व्यवस्था नहीं किए जाने पर निगम अध्यक्ष ने विपक्ष के पार्षदों के साथ नगर निगम सभागृह के बाहर रोड पर बैठक कर स्थगित बैठक की कार्यवाही को पूरा करते हुए 21 अक्टूबर को भाजपा महापौर और पार्षदों के द्वारा करो की वृद्धि और संपत्ति कर की बढ़ोतरी जैसे सभी प्रस्ताव निरस्त कर दिए रोड पर चलने वाले सदन की इस कार्यवाही में वरिष्ठ पार्षद इस्माईल अंसारी ने बजट 2023-24 में अनेक आपत्तियां भी उठाई तथा बजट में सुधार कर पुन: पटल पर रखने का प्रस्ताव पास किया गया नगर निगम में भाजपा कांग्रेस के बीच राजनीतिक ऊंट सही करवट नहीं बैठने के चलते यहां नूरा कुश्ती का दौर जारी है पक्ष विपक्ष कोई भी शहर हित नहीं चाह रहा है शहर की जनता विकास कार्यों के लिए पार्षदों के मुंह तक रही है सड़क से लेकर गली मोहल्लों तक खराब सड़के पेय जल की अनुपलब्धता गंदगी का अंबार है लेकिन दोनों ही दल कानून की आड़ लेकर एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं आयुक्त सहित निगम के अधिकारी सत्ता पक्ष की कठपुतली बने हुए हैं और जनता है की सुविधाओं के लिए तरस रही है।