खंडवा संसदीय सीट के इतिहास में बुरहानपुर के राजनेताओं का रहा है दबदबा

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बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) लोकसभा में खंडवा संसदीय सीट के नाम से जानी पहचाने जाने वाली इस सीट पर बुरहानपुर के नेताओं का अधिक दबदबा रहा है। चाहे वह कांग्रेस पार्टी से सम्बंध रखने वाले नेता हों या फिर भाजपा या अन्य पार्टी से अधिकांश चुनाव में राजनैतिक पार्टीयों ने बुरहानपुर के नेताओं पर ज्यादा तवज्जोह दी है। 2019 तक कुल 17 चुनाव हुए जिस में केवल 3 बार खंडवा के स्थानीय व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया गया। 1951 से लेकर 1957 तक कांग्रेस ने खंडवा से बाबूलाल सूरजभान को अपना उम्मीदवार बनाया, 1962 में हरदा के महेशदत्त को कांग्रेस ने मौका दिया। 1967 से 1971 तक कांग्रेस के गंगा चरण दिक्षित बुरहानपुर कांग्रेस के सांसद रहे तो 1977 में बुरहानपुर के ही परमानंद ठाकुरदास गोविंदजीवाला बीएलडी पार्टी से सांसद चुने गए। दिल्ली में एक स्कूटर एक्सीडेंट में असमायक निधन से खाली हुई सीट पर 1980 में बुरहानपुर से ठाकुर शिवकुमार सिंह ने चुनाव लडा तो 1984 में खंडवा के काली चरण शंकरगाय को अवसर मिला, 1984 के बाद से निरंतर फिर भाजपा ने अमृतलाल तारवाला बुरहानपुर 1991 कांग्रेस ठाकुर महेन्द्र सिंह बुराहनपुर को टिकिट दिया। इस के बाद से 1995 से 2004 तक भाजपा नंदकुमार सिंह चौहान बुरहानपुर को अपना उम्मीदवार बनाया, तो 2009 में कांग्रेस ने अरूण यादव खरगोन को खंडवा संसदीय सीट से खडा कर टिकिट दिया लेकिन 2014 से 2019 में भाजपा ने फिर नंदकुमार सिंह चौहान को टिकिट दिया। लेकिन 2020 में सांसद रहते नंदकुमार सिंह चौहान की आकस्मिक मौत होने से 2021 के उपचुनाव में कांग्रेस ने 27 वर्षो के बाद खंडवा जिले के स्थानीय प्रत्याशी ठाकुर राजनारायण सिंह को टिकिट देकर स्थानीय उम्मीदवार की मांग को पूरा किया है। यह बुरहानपुर का स्वभागय रहा है कि भाजपा और कांग्रेस सभी ने चुनाव में बुरहानपुर के नेताओं को स्थान दिया है। इस के राजनैतिक कारण यह भी है कि यहां जातीय समीकरण से मतदाताओं की संख्या अधिक होने से यहां का मतदाता र्निणायक भूमिका में होता है, इस कारण राजनैतिक पार्टीयों का यहां ध्यान अधिक रहा है। वर्तमान में होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस ने इस जातीय समीकरण को नजर अंदाज कर ठाकुर को टिकिट दिया है जब कि भाजपा ने जातीय समीकरण को साधने के लिए ओबीसी कार्ड खेलकर गुरजर समाज के ज्ञानेश्वर पाटिल पर अपना दाव लगाया है। इस उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला होने की उम्मीद की जा रही है। 1951 से लेकर 2019 तक कुल लोकसभा के 17 बार चुनाव हुए इस में केवल 3 बार खंडवा के स्थानीय नेताओं को अवसर मिला जब कि यह चौथा अवसर है जब उपचुनाव में कांग्रेस ने राजनारायण सिंह के रूप में स्थानीय प्रत्याशी दिया है।

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