बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) अयोध्या में राम मंदिर के ऐतिहासिक उदघट्न का मामला हो या फिर लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जोशी की राम मंदिर को लेकर रथ यात्रा यह दोनों ही अवसर ऐसे हैं जिसमें मुस्लिम समाज से जुड़े लोगों का योगदान रहा है आडवाणी और जोशी की रथ यात्रा का ड्राइवर जहां मुस्लिम युवक था वहीं अब 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर मंदिर के शिखर पर फहराया जाने वाला ध्वज भी एक मुस्लिम गुलाम जिलानी के द्वारा अपनी शिल्पकारी का नमूना पेश करते हुए बनाया गया है जो इस सांप्रदायिक माहौल में भी एकता का संदेश देता नजर आएगा झारखंड हज़ारीबाग के शिल्पकर के द्वारा ध्वज तैयार किया गया है जिसके दोनों ओर भगवान राम लक्ष्मण और हनुमान की छवि शिल्पकारी का बेहतरीन नमूना दर्शा रही है जो कौशल और एकता की प्रतीक है । 40 फुट लंबा और 42 फुट चौड़ा एक शानदार झंडा तैयार किया है जो जल्द ही मंदिर की ऊंचाइयों को सुशोभित करेगा। श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक यह ध्वज, एक तरफ भगवान हनुमान की छवि है और दूसरी तरफ भगवान हनुमान के कंधों पर भगवान राम और लक्ष्मण की छवि को दर्शाया गया है जो शिल्पकार जिलानी की कलात्मकता और समर्पण का प्रमाण है, वह सभी धार्मिक अवसरों पर ऐसे महावीरी झंडे’ बनाने में माहिर हैं। वह इसमें गर्व भी महसूस करते हैं उनके योगदान के लिए खुशी और सम्मान की भावना से भरा हुआ, यह भारत की संस्कृति और परंपरा की समृद्ध में एक मार्मिक क्षण होकर शिल्प कौशल धार्मिक सीमाओं से परे होने का संदेश देता कर कौशल और समर्पण एकता और सहयोग के सार का प्रतीक है जो भारत की समधर्मी संस्कृति केवल एक आदर्श नहीं बल्कि जीवंत वास्तविकता है, जहां गुलाम जिलानी जैसे व्यक्ति धार्मिक आधार पर एकता को बढ़ावा देते हैं। भारतीय मुसलमान अपनी कलात्मकता को साझा राष्ट्रीय दृष्टिकोण के साथ जोड़कर एक उदाहरण के रूप में खड़े हैं।