बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) प्रदेश की मेडिकल युनिर्वसिटी जलबपुर के अस्तित्व में आने के साथ ही यह विवादो से घिरी हुई है, रिजल्ट घोटाले आर्थिक अनियमित्ताऐं फर्जी पंजीयन रिजल्ट का समय पर नही देना ऐसे मामले है जिस से मेडिकल छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। 2011 में अस्तित्व में आई यह मेडिकल युनिर्वसिटी पहले एमबीबीएस जैसे पाठयक्रमो के लिए प्रवेश लिए गए इस में भी एमबीबीएस छात्रों के परीक्षा परिणाम समय पर नही देने और फिर डिग्री जारी नही करने को लेकर अनेक मामले कोर्ट में लंबित है, जहां इस युनिर्वसिटी से एक फैकल्टी का काम नही संभला वहीं सरकार ने प्रदेश भर की युनिर्वसिटों से मेडिकल फैकल्टी को जबलपुर मेडिकल युनिर्वसिटी में शिफट कर दिया जब से यहां परीक्षा परिणामो को लेकर और अधिक गडबडीयां सामने आई उस पर सितम यह की स्टाफ की कमी के चलते परिक्षाऐं आयोजित करने परिणाम बनाने पेपर सेट करने और कॉपी चेकिंग जैसे महत्वपूर्ण कार्य निजी कंपनी को ठेके पर दे दिया गया परिणाम यह हुआ कि 2018-2019 में यहां एक बडा शर्मनाक घोटाला सामने आया तो ठेका कंपनी ने पूरा डाटा जप्त कर लिया जिस के चलते प्रदेश भर के हजारों विद्यार्थीयों के परिक्षा परिणाम दो वर्ष से अधिक समय तक सामने नही आऐ और ना ही परीक्षाऐं आयोजित की गई, मामला कोर्ट तक पहुंचा यहां कोई स्थाई कुलपति परीक्षा कन्ट्रोलर तक नही है जो है वह योगय नही है, जिस को लेकर हाल ही में गवालियर हाईकोर्ट ने फटकार भी लगाई है। ऐसी अनियमित्ताओं के चलते यहां अध्यनरत मेडिकल के छात्र परेशान है परीक्षा के बाद महिनो परीक्षा परिणाम घोषित नही करना छात्रों के दबाव के बाद जो परीक्षा परिणाम घोषित तो होते है जिन में फर्जीवाडा अधिक सामने आया है अभी हाल ही में सितंबर में आयोजित एमबीबीएस आयुर्वेद और यूनानी की जो परिक्षाए आयोजित की गई उस के परिणाम दिसंबर, जनवरी 2023 में तो किए गए लेकिन वह भी त्रुटी पूर्ण है, परीक्षा परिणाम में यह सामने आया कि युनानी पैथी के चारों कॉलेज के छात्रो को एक विषय में सभी को फेल कर दिया गया जिस का स्पष्ट उदाहरण यूनानी के हाल ही में आए परीक्षा परिणाम से लगाया जा सकता है, यूर्निवसिटी की इस अनियमित्ता पर भोपाल बुरहानपुर इंदौर देवास के साथ अन्य कॉलेज के जिम्मेदारों का कोई ध्यान नही है, इस के साथ ही प्रदेश की सरकार और चिकित्सा शिक्षा विभाग का भी कोई ध्यान नही है जिस से हजारों छात्रों का भविष्य अधरमें लटक गया है। मेडिकल युनिर्वसिटी जबलपुर की इस अनियमित्ताओं और लापरवाही पर प्रदेश के राज्यपाल को स्वंय संज्ञान लेकर कार्यवाही करना चाहिए ताकि प्रदेश भर के मेडिकल छात्रों के भविष्य को अंधकार में डूबने से बचाया जा सके।