बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) इस बदलते युग में भी राष्ट्र निर्माण में महिलाओं का बड़ा योगदान है जिसमें मुस्लिम महिलाओं की भूमिका भी महत्वपूर्ण मानी जाती है भारत देश में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की हजारों मुस्लिम महिलाएं एक जैसी दिखे या ना दिखे पर विविध तरीकों से राष्ट्र निर्माण में योगदान करती हैं ऐसी हजारों मुस्लिम महिलाएं हैं जिन्होंने अपरंपरागत क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ी है। हाल ही में कोलकाता में सितारा पुरस्कारों का वितरण हमें मुस्लिम महिलाओं से जुड़े रूढि़वादिता को तोडऩे का दृश्य देखने को मिला है। इनमें कृषि के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने वाली केरल के पलक्कड़ की सायना यूसुफ छत्तीसगढ़ के भिलाई की सुरैया बानो शिक्षा के क्षेत्र में चमक रही हैं जिस में यूपी के मेरठ की जैऩब खान भी शामिल है। कॉस्ट्यूम ज्वेलर के रूप में करियर शुरू करने और सभी बाधाओं के बावजूद सफल होने के दौरान उज़्म फिऱोज़ ने जिन चुनौतियों का सामना किया वहीं साबूही अज़ीज़ ने युवा मुस्लिम लड़कियों को मंच प्रदान करने के लिए काम करते हुए ऑल बेंग मुस्लिम महिला संघ जैसे एनजीओ में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जहां वे अपनी प्रतिभा को निखार सकती हैं और ऐसे बहुत सारे उदाहरण है जो लाखों मुस्लिम महिलाओं के लिए जो रूढि़वादिता को तोडऩे से डरती हैं के लिए प्रेरणादायक है मुस्लिम महिलाओं के लिए प्रगति और सफलता वह अपने गौरवशाली सफल पूर्ववर्तियों के नक्शेकदम पर चलना है। मुस्लिम महिलाओं की सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक स्थिति को सीधे प्रभावित करता है इस दिशा में उपलब्धियां काफी हद तक लैंगिक समानता के प्रति लोगों के रवैये पर निर्भर करती हैं। आधुनिक समय में महिला सशक्तीकरण नेतृत्व के मुद्दे से अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है। जबकि कुछ मुस्लिम महिलाओं ने सर्वोच्च पदों पर आसीन होकर अपने राष्ट्रों का सक्षम नेतृत्व किया है।