बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए राजनेताओं की इच्छा शक्ति और दमदार विपक्ष का होना जरूरी है परंतु बुरहानपुर एक ऐसा जिला है जो हमेशा राजनीतिक गुटबाजी का शिकार रहा है और यही वजह है कि उसे जितनी तरक्की करना चाहिए वह नहीं कर सका है वर्तमान में भी स्थिति कुछ ऐसी ही है पंचायत और निकाय चुनाव के साथ कांग्रेस के साथ भाजपा की भी आपसी गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है और यही कारण है कि निकाय चुनाव महापौर पार्षदों की शपथ और फिर निगम सभापति के चुनाव को भी लगभग एक माह का समय होने को है लेकिन भाजपा अब तक मेयर इन काउंसिल का गठन नहीं कर पाई है तो कांग्रेस निगम को अब तक नेता प्रतिपक्ष नहीं दे पाई है दोनों ही पार्टियों में नेताओं के चेहतों का संतुलन नहीं बैठ पा रहा है इस कारण महापौर के मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो सका है तो कांग्रेसी भी यह तय नहीं कर पाई के नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी किसे दी जाए इसी कशमकश में परिषद की बैठक नहीं हो रही है प्रजातांत्रिक तरीके से चुनाव होकर भाजपा को सत्ता तो मिल गई लेकिन नेताओं को खुश करने के चक्कर में तालमेल नहीं बैठ पा रहा है और शहर विकास अधर में अटक गया है क्योंकि जब तक मेयर इन काउंसिल का गठन नहीं होगा तब तक परिषद की बैठक नहीं होगी और बैठक नहीं होगी तो शहर की समस्याओं और विकास पर चर्चा नहीं होगी ऐसे में शहर विकास में भाजपा और कांग्रेस की आपसी गुटबाजी रोड़ा बनकर सामने आ रही है।