बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) एमआईएम मुस्लिम हितैशी पार्टी होकर मुस्लिम अल्पसंख्यको के हितों की रक्षा का दावा करती है, उसके सुप्रीमो संसद में अल्पसंख्यकों का राग अलाप कर सुर्खीयां बटोरते है, परंतु उन की इस करनी और कत्थनी का फ्रक एक बार फिर बुरहानपुर के नगरीय निकाय चुनाव में सामने आया है, उन्हें भाजपा की बी टीम का जो खिताब मिला है उसका प्रमाण बुरहानपुर में भी देखने को मिला। नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस ने मुस्लिम अल्पसंख्यक महिला को महापौर के लिए खडा किया कांग्रेस की आपसी गुटीय राजनीति के बाद भी कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लडा और मतदान से एक दिन पूर्व एमआईएम के सुप्रीमो ने बुरहानपुर पहुंच कर सियासी समीकरण को बदल वोटों का धुर्वीकरण कर भाजपा के लिए मैदान तैयार कर चलते बने और परिणाम रहा कि कांग्रेस की शहनाज अंसारी भाजपा से मात्र 542 वोट से पिछड कर हार का मुंह देखना पडा। एमआईएम मुस्लिम अल्पसंख्यको की राजनीति करने वाली पार्टी होने के बाद उसने ही मुस्लिम अल्पसंख्यक को चुनाव हराने का काम किया। 10 हजार से अधिक वोट लेकर समीकरण बिगाडे यदि एमआईएम यहां अपना प्रत्याशी नही खडा करती और औवेसी को यहां नही बुलाया जाता तो कांग्रेस की शहनाज अंसारी लगभग दस हजार वोटों से चुनाव जीत कर नगर सरकार की मुखिया होती। ऐसे आरोप कांग्रेस के जिला अध्यक्ष अजय रघुवंशी एंव महापौर चुनाव के प्रभारी मुजीब कुरैशी ने मीडिया के समक्ष लगाऐ है दोनों ही नेताओं का कहना है कि एमआईएम के सुप्रीमो भाजपा की बी टीम के रूप में काम करते है, भाजपा की हालत जहां खराब होती है वहां भाजपा औवेसी की सभाऐं कराकर वोटों का धुव्रीकरण कर चुनाव जीत जाती है, उन्होने कहा कि इस हालत के लिए भाजपा और औवेसी जिम्मेदार नही है जिम्मेदार स्वंय वह अल्पसंख्यक मतदाता है जो एमआईएम और उसके सुप्रीमो की बातों में आकर स्वंय अपना नुकसान करता है, औवेसी जैसे नेता अल्पसंख्यको के नाम पर राजनीति कर अपनी राजनीति चमकाने का काम करते है जिस से अल्पसंख्यको को सावधान रहना चाहिए।