बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) भारतके पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं गंभीर चिंता का विषय हैं। इन घटनाओं का प्रभाव न केवल संबंधित समुदायों पर पड़ता है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर भी असर डालता है। सभी देशों की सरकारों को चाहिए कि वे अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें और सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा दें। भारत के पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं आम हैं यहाँ हिंसा मुख्य रूप से धार्मिक भेदभाव, कानूनों का दुरुपयोग,जबरन धर्म परिवर्तन जैसे मामलों के रूप में अभिव्यक्त होती है । यह भेदभाव सांप्रदायिकता की भावना को बढ़ावा देता है, जिसमें समाज को अस्थिर करने की क्षमता है और यह न्याय और समानता के सिद्धांतों के विपरीत है जिससे नकारात्मक छवि वैश्विक स्तर पर कायम हो रही है जिसका असर पश्चिम और दुनिया के अन्य हिस्सों में मुसलमानों के बारे में लोगों की धारणा पर पड़ता है।भारतीय मुसलमानों को मुस्लिम दुनिया के अन्य हिस्सों में होने वाली चरमपंथी कार्रवाइयों से खुद को तटस्थ रखने के साथ साथ वक्त वक्त पर इस तरह के कार्यवाहियों की पुरजोर मज्जम्मत भी करनी चाहिए जिस से भारत का धर्मनिरपेक्ष संविधान मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों को शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व के लिए एक मंच प्रदान करता है!