बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) सहकारिता के क्षेत्र की इकलौती सूत मिल ढाई दशक पहले बंद हो गई जिसके मजदूरों को उनकी ग्रेच्युटी बोनस व अन्य लाभ मरते दम तक उन्हें नहीं मिले जो जिंदा है वह अब भी सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट कर अफसर से गुहार लगा रहे हैं पर जनप्रतिनिधियों से लेकर अफसर तक उन्हें कोई हक नहीं दिला सके जो जिंदा है वह अपने हक की लड़ाई आज भी लड़ रहे हैं यहां यह बड़ी विडंबना है कि मिल के 1995 में बंद होने के बाद उसकी ईट मिट्टी तक चोरी हो गई लेकिन कहीं कोई भी मुकदमा दर्ज नहीं है कोई आरोपी अब तक सामने नहीं आए हैं करोड़ों की मशीनरी माल फर्नीचर सब चोरी हो गया और सरकारी नमाइंदे देखते रह गए आज अगर सूत मिल केनिशान के तौर पर कुछ बाकी है तो प्रवेश द्वार के दो पिल्लर जो मिल की याद ताजा करते हैं सहकारी क्षेत्र के अधीन आने वाली सैकड़ो स्पिंडल की यह सूत मिल सैकड़ो परिवार का पालन पोषण करती रही जो राजनीति का शिकार होकर बंद हो गई और बाद में राजनीति की साजिश में चोरों ने दिनधौले चुरा कर ले गए और कोई कुछ नहीं कर सका इस मिल के बाकी बचे मजदूर जो अभी जिंदा है अपनी ग्रेच्युटी पेंशन लिहाफ व अन्य अधिकारों की मांग निरंतर शासन प्रशासन से कर रहे हैं लेकिन उनकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं मंगलवार को भी कुछ मजदूर अपने परिवार के साथ कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुंचे और हक दिलाने की गुहार ।