बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) ऐतिहासिक नगर बुरहानपुर के लिए यह गौरव का विषय है कि अखिल भारतीय महापौर परिषद की 52 वी बैठक 13 और 14 मार्च 2023 को नगर के इतिहास में प्रथम बार यहाँ आयोजित होने जा रही है। इस आशय का निर्णय अखिल भारतीय महापौर के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) उमाशंकर जी गुप्ता द्वारा लिया जाकर देश के सभी महापौरगण को इस सम्मेलन में शामिल होने का आग्रह किया गया है। इस निर्णय पर प्रसन्नता व्यक्त कर महापौर श्रीमती माधुरी अतुल पटेल द्वारा श्री गुप्ता एवं महापौर परिषद का आभार प्रकट करते हुए कहा कि हमारे अनुरोध को स्वीकार कर महानगरो एवं बड़े शहरो की बजाय बुरहानपुर को माननीय महापौरगणो के आतिथ्य का अवसर प्रदान किया गया है। महापौर ने बताया की अखिल भारतीय महापौर परिषद के इस निर्णय से नगरवासी एवं नगर पालिक निगम बुरहानपुर गौरवान्वित अनुभव कर देश के विभिन्न शहरों के महापौरगण के स्वागत एवं सम्मान के लिए आतुर है। कार्यक्रम के आयोजन को लेकर महापौर परिषद एवं निगम इसकी तैयारियों में जुट गया है।.
अखिल भारतीय महापौर परिषद के इतिहास पर एक नजर
हमारे देश में राष्ट्रीय स्तर और प्रान्तीय स्तर पर कार्य करने वाली सरकारो की तर्ज पर तीसरी सरकार के रूप में स्थानीय निकायों को लोकतांत्रिक तरीके से संवैधानिक दर्जा दिलाने हेतु कुछ महापौरो द्वारा सर्वप्रथम 6 ,7 जून 1958 को हैदराबाद के महापौर द्वारा ऐतिहासिक टाउन हॉल में देशभर के महापौरगणो की एक बैठक बुलाई गई जिसमें महापौरो तथा दो उप महापौरो ने भाग लिया उस बैठक का उद्घाटन आन्ध्रप्रदेश के राज्यपाल द्वारा किया गया। उस बैठक में स्थानीय निकायों के कार्यों में आने वाली कठिनाइयों पर चर्चा हुई और 14 प्रस्ताव पारित किये गये । इन सभी प्रस्तावों का एक ड्राफ्ट सरकार को भेजा गया। इसके बाद महापौरो की दूसरी बैठक मद्रास में बुलाई गई। इस बैठक की अध्यक्षता तत्कालीन केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डी.पी. करमरकर तथा उद्घाटन तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा किया गया। इस बैठक में 16 महापौरगणो ने भाग लेकर स्थानीय निकायों की विभिन्न योजनाओं पर चर्चा कर 22 प्रस्ताव पारित किये तथा त्रिवेन्दन के महापौर को यह जिम्मेदारी सोपी गई कि इन सब का एक ड्राफ्ट बनाकर सभी महापौरगणों को भेजकर उनके सुझाव आमंत्रित किये जाये जिसमें काफी सुझाव आये।
उन सुझायो पर 31 जनवरी, फरवरी 1961 को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दिल्ली में महापौरों की बैठक बुलाई गई। इस बैठक में सर्वसम्मति से मुंबई के महापौर एस.पी. वर्लीकर को प्रथम चेयरमेन बनाया गया और इस संगठन का नाम आल इंडिया कौसिल ऑफ मेयर्स रखा गया जो कि अखिल भारतीय महापौर परिषद के नाम से भी जानी जाती है। बैठक में संस्था के संविधान ड्राफ्ट किया गया, जिसमें प्रत्येक दो वर्ष बाद नये अध्यक्ष / चैयरमेन का चुनाव, प्रत्येक तीन माह में एक कार्यकारिणी. प्रत्येक वर्ष साधारण सभा / अधिवेशन सहित दो दर्जन प्रस्ताव शामिल किये गये। इस संस्था का अस्थायी कार्यालय शालीमार बाग़ दिल्ली में खोला गया। वर्ष 1968 में दिल्ली के महापौर हंसराज गुप्ता के नेतृत्व में इस संस्था का रजिस्ट्रेशन सोसायटी एक्ट के तहत दिल्ली में कराया गया।
इस संस्था की समय पर बैठके आयोजित की जाती रही और संस्था के भवन हेतु भूमि की सरकार से माग की जाती रही थी। वर्ष 1987 में दिल्ली के महापौर एम.एस साथी को इस संस्था का चैयरमेन / अध्यक्ष बनाया गया। श्री साथी ने केन्द्रीय शहरी एवं नगरीय विकास मंत्रालय से मिलकर भूमि आवंटन का प्रयास किया । केन्द्रीय मंत्रालय द्वारा संस्था को 07 मार्च 1989 को 370,56 स्कवायर मीटर भूमि, 8 भाई वीरसिह मार्ग, गोल मार्केट, नई दिल्ली में आवंटित की गयी।
22 दिसंबर 1990 को भारत के उपराष्ट्रपति श्री शंकर दयाल शर्मा से इस भवन का शिलान्यास कराया तथा उद्घाटन 29 जनवरी 1992 को नगरीय विकास मंत्री श्रीमती शीला कौल द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता केन्द्रीय मंत्री बलराम जाखड द्वारा की गयी। इस चार मंजिला भवन में इस संस्था का कार्यालय नियमित रूप से कार्य कर रहा है यहाँ देशभर के महापौरगणो का आवागमन लगा रहता है। इस संस्था के अनेको अध्यक्ष / महापौर राष्ट्रीय एवं प्रान्तीय स्तर पर सरकार में विभिन्न उच्च पदों पर आसीन है / रहे है, जिनमें केदारनाथ साहनी, एम.एस. साथी (दिल्ली), मनोहर जोशी, छगन भुजबल (महाराष्ट्र), प्रकाश जायसवाल (कानपुर), कैलाश विजयवर्गीय (इंदौर), उमाशंकर गुप्ता (भोपाल) आदि प्रमुख है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी द्वारा स्थानीय निकायों को संवैधानिक दर्जा दिलाने हेतु तीसरी सरकार के रूप में वर्ष 1992 में 73 वे व 74 वे सविधान को संशोधित कराया गया लेकिन राज्य सरकारों द्वारा इसको पूर्णतया रूप से लागू नहीं किया गया। जिसको लेकर ऑल इंडिया कौसिंल ऑफ मेयर्स आन्ध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उडीसा, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गुजरात, झारखंड, महाराष्ट्र, दिल्ली आदि राज्यों में अपनी बैठक / अधिवेशन आयोजित कर राज्यपाल, मुख्यमंत्री, नगर निगम मंत्री एवं वरिष्ठ राज नेताओं को बुलाकर महापौरगणो की समस्याओं से अवगत कराया गया है. जिसके परिणाम स्वरूप कुछ राज्यो में महापौरो के कार्यकाल एवं अधिकार सहित विभिन्न योजनाओं को लागू करने में उदारता दिखाई गई है।
इस संगठन को निरंतर गति प्रदान करने भोपाल के पूर्व महापौर एवं परिषद के पूर्व चैयरमेन उमाषंकर गुप्ता (उच्च शिक्षा मंत्री मध्यप्रदेश) अपने पुराने पूर्व महापौर साथियों के साथ परिषद के प्रत्येक कार्यक्रमों में अपनी सहभागिता निभाकर परिषद को और आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे है। ऑल इंडिया कौसिल ऑफ मेयर्स से आज देशभर की लगभग 180 महानगर पालिका / निगमे जुडी हुई है, जिसका नेतृत्व नागपुर के महापौर प्रो. अनिल एम. सोले चेयरमेन के रूप में समस्त महापौरगणो के सहयोग से और ऊँचाई पर पहुचाने का कार्य कर रहे है। भविष्य में हमें आशा ही नही अपितु पूर्ण विश्वास है कि परिषद को सही दिशा प्रदान करने में सभी महापौरगणो का सहयोग मिलता रहेगा।