बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद प्रदेश भर में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव का बिगुल बज गया है बिना आरक्षण चुनाव को लेकर इस पर फिर राजनीति तेज हो गई है सरकार सहित कॉन्ग्रेस अपने स्तर से चुनाव में आरक्षण निर्धारित करने की कवायद भी तेज है इसी बीच सरकार की ओर से यह बात भी सामने आ रही है कि पंचायत और नगरी निकाय चुनाव में अध्यक्ष और महापौर के चुनाव सीधे तौर पर जनता से कराएंगे इसके लिए सरकार अध्यादेश लाने की तैयारी भी कर रही है पंचायत और नगर निकाय चुनाव सर पर है लेकिन बुरहानपुर जिले सहित 18 जिलों में कॉन्ग्रेस बिना कमांडर चुनाव मैदान में होगी यहां कांग्रेस द्वारा कुछ माह पूर्व जिला अध्यक्षों को हटाया गया था तब से नेत्रतोहीन कांग्रेस में गुटबाजी भी उभर कर सामने आई है जिस पर काबू पाने के लिए प्रदेश कांग्रेस की ओर से कुछ दिन पूर्व एक पर्यवेक्षक को बुरहानपुर भेजा गया था जिनके द्वारा यह प्रयास किया जाना था कि सभी गुटों से मिलकर समन्वय बनाएं तथा जिले में सर्वसम्मति से कांग्रेस जिला अध्यक्ष की नियुक्ति हो सके कांग्रेस प्रदेश आलाकमान की यह पहल बुरहानपुर में सार्थक होती नजर नहीं आ रही है और यही वजह है कि जिले में कांग्रेस की आपसी खींचतान से भाजपा मजबूत हो रही है नगरीय और पंचायत चुनाव में टिकट पाने वाले दावेदार अपने स्वयं के बल पर हाथ पैर मार डीजल पेट्रोल रसोई गैस बिजली बिल के विरोध में नित्य नए तरीके अपनाकर जहां महंगाई का विरोध कर रहे हैं वही पार्टी में अपनी सक्रियता बता कर पार्षद टिकट की दावेदारी को भी मजबूत कर रहे हैं इसी को लेकर महिला कांग्रेस की जिलाध्यक्ष एवं राजपुरा वार्ड की निवर्तमान पार्षद सरिता भगत अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए महंगाई के विरोध में अपने पति राजेश भगत के साथ अकेले साइकिल पर सवार होकर शहर भ्रमण करते हुए एसडीएम कार्यालय पहुंचकर महंगाई का विरोध किया चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण के फैसले के बाद हरकत में आ गया है और कोर्ट के निर्देश के तहत चुनाव कराने को लेकर पूरी तरह तैयार हो गया है कांग्रेश के मुकाबले भाजपा पंचायत और निकाय चुनाव को लेकर पूरी तरह तैयार है और आरक्षण मामले में कांग्रेश को दोषी करार देकर उसका प्रदेश स्तर पर प्रचार कर कांग्रेस को बदनाम कर रही है ऐसे हालात में कांग्रेस अब पंचायत और निकाय चुनाव में किस प्रकार मुकाबला करती है या आने वाला समय ही बताएगा।