बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) कोविड-19 के बीच अटके पंचायत और निकाय चुनाव पर लगा आरक्षण का ग्रहण भी सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद साफ हो गया है कोर्ट के आयोग को स्पष्ट निर्देश है कि 15 दिवस के बीच चुनाव अधिसूचना जारी की जाए सर्वोच्च न्यायालय के आरक्षण को लेकर फैसले के तुरंत बाद मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि पुनर्विचार याचिका दायर कर आरक्षण के साथ ही चुनाव कराए जाएंगे इसके बाद फिर एक बार आरक्षण का मुद्दा जिंदा होता नजर आ रहा है वही प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल भी आरक्षण पर अपनी राय मीडिया के समक्ष रखकर आरक्षण का सारा ठीकरा कांग्रेस के सर फोड़ कह रहे हैं कि कांग्रेस ने 60 वर्षों राज किया परंतु कभी भी ओबीसी से मुख्यमंत्री नेता प्रतिपक्ष नहीं दिया जबकि केंद्र की मोदी सरकार ओबीसी को संवैधानिक अधिकार देना चाहती है सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण को लेकर दिए गए अपने फैसले मुख्यमंत्री की पुनर्विचार याचिका की अटकलों के बीच अब राजनीतिक गलियारों में एक चर्चा ऐसी भी सुनाई दे रही है कि राजनीतिक पार्टियां अपने स्तर पर चुनाव में टिकट स्वयं ओबीसी का कोटा निर्धारित करें टिकट का वितरण करेगी अब ऐसा होता भी है तो यह न्यायालय के फैसले को मुंह चढ़ाने जैसा होगा और अगर मुख्यमंत्री की पुनर्विचार याचिका से कुछ निकल कर आया तो चुनाव विधिवत रूप से होंगे आरक्षण की इस राजनीति पर कांग्रेश भी बराबर अपने बांड भाजपा पर छोड़ उसे भडकाने की कोशिश कर रही है कांग्रेस का कहना है कि आर एस एस की गोद में बैठने से भाजपा को मुंह की खाना पड़ी है राजनीतिक पार्टियों के आरोप के बीच यह भी सच है कि चुनाव आयोग कोर्ट के फैसले के बीच चुनावी प्रक्रिया का कार्यक्रम घोषित कर सकता है इसको लेकर सरगर्मियां आयोग में तेज हो गई हैं।