उर्दू सहाफत के मैदान में नुमायां ख़िदमात अंजाम देने वाले तीन सहाफियों को दिया जायेगा शहीद मौलवी मोहम्मद बाकिर अवार्ड 

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बुरहानपुर( अकील ए आज़ाद) अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं राज्य सभा सांसद जनाब इमरान प्रतापगढ़ी की तकरीर में हुए खुलासे से अल्पसंख्यक कांग्रेस ज़िला बुरहानपुर के ज़िम्मेदारों ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष की मंशा को अमली जामा पहनाने का फैसला लेते हुए हिंदुस्तान की तारीख में पहली बार शहीद मौलवी मोहम्मद बाकिर अवार्ड देने का ऐलान किया है । इस संबंध में जानकारी देते हुए अल्पसंख्यक कांग्रेस नेता डॉ. फरीद काज़ी एवं डॉ. ईमरान खान ने बताया के 1857 की जंग ए आज़ादी से पहले उर्दू सहाफत में उर्दू का पहला अखबार देहली उर्दू अखबार के नाम से निकालने वाले मौलवी मोहम्मद बाकिर की शहादत को सिर्फ किताबों में पढ़ने तक ही याद किया जाता है ये वो अज़ीम शख्सियत थी के जिसने अपने अखबार में बर्तानवी हुकूमत के खिलाफ लिखना शुरू किया जिस से नाराज़ होकर अंग्रेज़ों ने मौलवी मोहम्मद बाकिर को तोप से बांध कर उड़ा दिया और मौलवी बाक़िर ने शहादत का जाम पिया । लेकिन अफसोस की बात है के उर्दू सहाफत के मैदान में आज तक किसी ने उनके नाम से एक अवार्ड तक नहीं दिया अल्पसंख्यक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ईमरान प्रतापगढ़ी की इसी तकरीर से मुतास्सिर होकर ज़िला अल्पसंख्यक कांग्रेस ने 5 नवंबर को कांग्रेस ज़िला अध्यक्ष रिंकू टाक के जन्मदिन के मौके पर होने वाले ऑल इंडिया मुशायरे में उर्दू सहाफत के मैदान में नुमायां ख़िदमात अंजाम देने वाले तीन सहाफियों भोपाल से डॉ. मेहताब आलम,, बुरहानपुर से इकबाल अंसारी और अकील ए आज़ाद की ख़िदमात को देखते हुए उन्हें शहीद मौलवी मोहम्मद बाकिर अवार्ड से सम्मानित करने का फैसला किया है।

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