बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) इन दिनो शहर की समस्याओं को लेकर विपक्षी दल और उसके पार्षदों ने ऐसा मौन धारण कर रखा है जैसे उनके पिछले आंदोलन से डर कर सत्ताधारी दल सारी समस्याओं को हल कर दिया है जिसके चलते वह भी खामोश है लेकिन सत्ता और विपक्ष की खामोशी और मौन धारण से शहर का नागरिक जस की तस परेशान है उसकी आवाज को उठाने वाले आंदोलन कर थक चुके हैं गरीब जाय तो कहां जाए सत्ताधारी दल अभी त्योहारी मुंड में होकर अपनी पार्टी की गतिविधियों में मशगूल है जैसे तैसे बैठक आहूत तो हुई लेकिन बात का बतंगड़ बनाकर सब टाई टाई फिश अब त्योहारी मुंड है जो अभी दो सप्ताह से अधिक बना रहना है इसके बाद कुछ समय के लिए राजनीति के गलियारों में हलचल शुरू होगी अगर 3 वर्ष के लेखा जोखा पर नजर डाले तो विकास के नाम पर केवल सन्नाटा बेचारा मतदाता करें भी तो क्या फिर चुनाव आएंगे धर्म जात-पात का खेल चलेगा और फिर कोई कुर्सी पर विराजमान होगा शहर वही का वही अपनी समस्याओं पर आंसू बहाता रहेगा परिषद की स्थगित बैठक कब होगी कब राजनेतिक ऊंट किस करवट बैठेगा अभी कुछ पता नहीं हां बस पता है तो इतना कि मैं विपक्ष का नेता हूं और कोई सत्ता पक्ष का चेयरमैन इस से आगे कुछ नहीं शहर कहां जा रहा है सड़कों गली मोहल्लों की क्या हालत है आम नागरिक अपनी समस्याओं से कैसे जूझ रहा है गरीब को राशन मिल रहा है कि नहीं इसकी क्या परेशानी है कोई चिंता नहीं सब अपनी-अपनी राजनीति में अपना अपना राग अलापने में मस्त है।