बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) मानवता के खिलाफ एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है जब आतंकवादियों ने जम्मू- कश्मीर राज्य में एक पर्यटक बस पर हमला किया, जिस में उत्तर प्रदेश और दिल्ली के 41 लोगों में से 10 यात्री घायल हो गए खुद को आध्यात्मिक रूप से शुद्ध करने के लिए, अक्सर लोग ऐसी कठिन यात्रा करने के लिए अपना घर छोड़ देते हैं। इन लोगों की हत्या करना मानवता के विरुद्ध कार्य है। धार्मिक यात्राओं में जहां वैष्णो देवी की यात्रा हो या फिर मुस्लिम धर्म वलंबियों के द्वारा हज यह ऐसी यात्राएं हैं जिस में मनुष्य अपनी आत्म शुद्धि के लिए निकल कर इन यात्राओं को पूरा करता है मुसलमानों को शांति बनाए रखने के लिए इस्लामी शिक्षा का पहला सिद्धांत है। भले ही दुनिया के किसी भी हिस्से में ऐसी हरकतें करने में कोई भी शामिल हो. इस्लाम का मतलब शांति है. जब भी कोई शांति स्थापित करने या बनाए रखने के लिए कार्य करता है जहां लोग सुरक्षित महसूस करते हैं, तो वह वास्तव में इस्लामी शिक्षाओं का पालन कर रहा होता है। हम खुद को मुसलमान तभी कह सकते हैं जब हम कुरान के एतमाद की पाबंदी करेंगे इस्लाम कभी भी निर्दोष लोगों को चोट पहुंचाने या मारने का समर्थन नहीं करता है। कुछ लोग यह तर्क दे सकते हैं कि ऐसे अपराधियों को उनकी जिंदगी में उन्हें दुख और तकलीफ पहुंचाई जाए लेकिन ऐसा करना सही नहीं होगा जम्मू- कश्मीर में हाल के हमले इस्लाम की खिलाफ वर्ज़ी की ओर इशारा करते हैं क्या ऐसे लोग मुस्लिम होने का दावा कर सकते है जो बेगुनाहों पर जुल्म करें इस्लाम के बुनियादी उसूल तीर्थयात्रियों के साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए। एक सच्चा मुसलमान ऐसे तीर्थयात्रियों की यात्रा में मदद करेगा और उनकी सुरक्षा का ख्याल रखेगा आतंकी संगठन अक्सर धार्मिक शिक्षाओं को गलत तरीके से पेश करके, तोड़ मरोड़कर पेश करने की कोशिश करते हैं जो असंतोष को बढ़ावा देकर हमारे देश के युवाओं को निशाना बनाने की कोशिश करते हैं, सच्ची शिक्षा के संबंध में स्कॉलर और विद्वान अपनी अलग राय रखते हैं कोई भी धर्म, धर्म के नाम पर कभी भी हिंसा को बढ़ावा नहीं देता. मुसलमानों के रूप में, हमें यह समझना चाहिए कि यदि हम अन्य धर्मों का सम्मान नहीं कर सकते, तो हम अपने धर्म का भी सम्मान नहीं कर सकते। मानवता की सेवा ही सच्ची सेवा है जिससे देश समृद्धि करेगा।