बजट से कपडा उद्योग के हाथ खाली शहर के पावरलूम व्यवसाई हुए निराश

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बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) लंबे समय से मंदी की मार झेल रहे कपडा उद्योग को केन्द्र सरकार से बहु कुच्छ उम्मीद थी परंतु बजट सानमे आने से निराशा हाथ लगी है, शहर पावरलूम व्यवसाय पर जिंदा है यहां एक लाख से अधिक लोग प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से जुडे है, उन्हें उम्मीद थी के केन्द्र सरकार कपडा निति के तहत कुच्छ रियायते देकर इस उद्योग को उबारेगी लेकिन ऐसा कुच्छ नही हुआ यहां का पावरलूम व्यवसाई सरकार की टेक्सनीति से सबसे अधिक प्रभावित है सूत खरीदने से लेकर कपडा तैयार कर उसे बाजार में बेचने तक एक ही माल पर बार बार टेक्स लगने से उस के लागत मूल्य में वृद्धि होने से उसके उचित दाम नही मिल पा रहे है पावरलूम में लगने वाली बिजली महंगी दरों पर मिलने से भी यहां का बुनकर परेशान है, राज्य सरकार के बजट में उसे उम्मीद थी के पावरलूम पर लगने वाली बिजली की दरों में कमी कि जाऐगी लेकिन वह भी नही हुआ, कच्चे माल से लेकर कपडा बेचने तक राज्य ओर केन्द्र का जीएसटी दर बहुत अधिक है, इस पर ई बिल एक समस्या वहीं 45 दिन की उधारी को आमदनी में जोडने वाले फामूले लेने यहां के उद्योग पतियों और पावरलूम व्यवसाईयों की कमर तोडकर रख दी, पावरलूम व्यवसाय में चार से छै माह की उधारी का चलन इस व्यवस्था से प्रभावित है, इस को लेकर कपडा जगत से जुडे उद्योग पतियों और व्यवसाईयों ने जनप्रतिनिधियों के माध्यम से ध्यान आकर्षित भी कराया लेकिन कोई परिणाम सामने नही आऐ है, जिस प्रकार राज्य सरकार का बजट स्थानीय तौर पर कपडा उद्योग को कोई फायदा नही दे पाया वैसे ही केन्द्र के बजट में पावरलूम कपडा उद्योग को लेकर कोई रियायत नही देने पर इस उद्योग से जुडे लोगों को निराशा हाथ लगी है, यह उद्योग दिनदूनी रात चौंगनी तरक्की के स्थान पर रोजदम तोडता नजर आ रहा है, जिस का सीधा असर शहर की आर्थिक स्थिति पर पडेगा और बेरोजगारी उभर कर सामने आऐगी।

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