नगर निगम का कानून ताक में जन समस्याओं से मुंह मोड़ घबराता सत्ता पक्ष

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बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) शहर की मूलभूत आवश्यकताओं और समस्याओं के हाल के लिए स्थानीय निकाय में प्रजातांत्रिक तरीके से चुनी हुई परिषद है जिस की मुखिया भाजपा की महापौर माधुरी अतुल पटेल है शहर के 48 वार्डो के पार्षदों की चुनी हुई परिषद है लेकिन नगर निगम अधिनियम को ताक में रखकर यह चुनी हुई परिषद और उसकी मुखिया शहर की समस्याओं से मुंह मोड़ घबराकर परिषद की बैठक आहूत नहीं कर रही है उन्हें डर है कि यदि सम्मेलन आहूत किया तो बड़ा हंगामा होगा विपक्ष बार-बार बैठक बुलाने और जन समस्याओं पर चर्चा कर उनका निराकरण करने की मांग लगातार कर रहा है लेकिन बावजूद इसके बिना सम्मेलन बुलाए बजट पास करें असंवैधानिक रूप से निगम का संचालन हो रहा है परिषद की बैठक बुलाने के सारे नियम कायदे किताबों में बंद होकर ताक में रखे हैं पिछले अक्टूबर के बाद से अब तक निगम परिषद की वैधानिक तरीके से बैठक नहीं होने से शहर के विकास कार्यों पर ब्रेक लगा हुआ है और जन समस्याएं दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है इसी सब मामलों को ध्यान में रखकर विपक्ष ने फिर एक बार परिषद की बैठक बुलाने के लिए आयुक्त को पत्र दिया है लेकिन यहां विडंबना यह है कि निगम की संवैधानिक पद पर बैठी अध्यक्ष के नेतृत्व में यह पत्र आयुक्त को दिया गया जबकि अध्यक्ष सम्मेलन बुलाने का कानून अधिकार रखती है निगम परिषद की महापौर माधुरी पटेल सत्ताधारी दल से है फिर भी शहर में घोर समस्याएं हैं सड़क पानी को लेकर त्राहि त्राहि है लेकिन फिर भी महापौर इस में सुधार को लेकर कोई कदम नहीं उठा रही है विपक्ष बार-बार आयुक्त को शहर की समस्याओं से अवगत करा कर उनका प्रशासनिक स्तर से निदान करने की मांग कर रहा है लेकिन आयुक्त भी समस्याओं के निराकरण में पंगु साबित हो रहे हैं ऐसे में शहर की जनता जिम्मेदारों को कोस अपने निर्णय पर पछतावा ही कर रही है।

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