बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) नगर निगम चुनाव हुए डेढ़ वर्ष का समय होने को है इस बीच चार से अधिक परिषद की बैठके हुई वह भी बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई शहर विभिन्न समस्याओं से जूझ रहा है लेकिन विपक्ष के नाम पर केवल कांग्रेस की ज्ञापन नीति आम जन की समझ से परे है परिषद की मुखिया कांग्रेस की है जिनका दायित्व परिषद की बैठक समय पर बुलाना है परंतु राजनीति ऐसी की सभी केवल अपने पदों को सुशोभित कर रहे हैं शहर की जनता छोटी.छोटी समस्याओं को लेकर परेशान है परिषद में बैठक पार्षद कुछ तो अपने दम पर हाथ पैर मार कुछ करने की जगत में लगे हैं तो कुछ केवल मेंबर साहब कहलाकर खुश है नगर निगम में यहां स्थिति सत्ता और विपक्ष दोनों ही दलों की है जनता ने जिस उम्मीद के साथ इन्हें अपना प्रतिनिधि बनाकर भेजा वह अब अपने निर्णय पर पश्चाताप कर रहे हैं एक करोड़ से अधिक के बजट वाली इस संस्था में केवल अंधेरा ही अंधेरा है देनदारियां अधिक और आय कम होने से शहर विकास के कार्य अधर में है गली मोहल्लों से लेकर शहर के मुख्य मार्गो तक की हालत खस्ता है साफ सफाई के बुरे हाल है स्थापना खर्च बेलगाम है समय पर परिषद की बैठक के नहीं होने से नए प्रस्ताव भी पारित नहीं हो रहे हैं समस्याओं को लेकर स्वयं परिषद अध्यक्ष पार्षदों के साथ मिलकर निगम आयुक्त को ज्ञापन देकर समस्याओं को हल करने का आग्रह कर रही है जबकि वह स्वयं इन समस्याओं को हल करने के लिए परिषद की बैठक बुलाकर उस पर चर्चा करने तथा समस्याओं का निदान करने का अधिकार रखती है परंतु निगम की पंगु राजनीति में उलझ कर सब कुछ काला है भला ऐसे में शहर का क्या विकास होगा यदि शहर का विकास और समस्याओं का निदान करना है तो समय.समय पर परिषद की बैठक बुलाई जाए ताकि सत्ता और विपक्ष मिल बैठ कुछ अच्छा कर सके, विपक्ष के ज्ञापन देने से शहर का भला नहीं होगा।