खराब सड़कों और बिगड़ी सफाई व्यवस्था से नाराज मतदाताओं ने मतदान में नहीं दिखाई रुचि

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बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) नगरीय निकाय चुनाव में कम मतदान को लेकर लोगों की खासी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है कोई शहर की खराब सड़कों से नाराज नजर आया तो कोई बिगड़ी सफाई व्यवस्था से नाराज दिखा तो किसी ने पेयजल की समस्या को लेकर अपनी नाराजगी जताई तो किसी ने प्रधानमंत्री आवास योजना में भ्रष्टाचार और दोहरी पॉलिसी को लेकर कहा कि इसमें भेदभाव और राजनीति हुई है जिससे यह साफ होता है कि शहर का आम नागरिक नगर निगम की कार्यप्रणाली से नाराज होकर वोट नहीं डाला वोट प्रतिशत कि हम बात करें तो शहर का जागरूक शिक्षित मतदाता ने भी मतदान से दूरी बनाकर सरकार के प्रति मौन विरोध जताया और यही कारण है कि शहर के बुद्धिजीवी वर्ग ने भी वोट नहीं देकर सरकार को संकेत दिया है कि केवल प्रदेशिक मुद्दों पर निगम के चुनाव नहीं जीते जाते स्थानीय समस्याओं के निराकरण की भी कोई योजना होनी चाहिए। भाजपा महापौर के पिछले कार्यकाल में किए गए वादों का पूरा नहीं होना भी स्वयं भाजपा के लिए बड़ा कारण बन कर सामने आया है और यही वजह है कि महापौर चुनाव में भाजपा जीत से दूर नजर आ रही है क्योंकि मतदान के बाद राजनीतिक जानकारों के जो विश्लेषण सामने आए हैं उसमें भाजपा को जीत से दूर बताया जा रहा है लेकिन अगर कम मतदान को लेकर प्रदेश की नजर से देखा जाए तो पूरे प्रदेश की प्रथम चरण के चुनाव में मतदान प्रतिशत कम रहा है जिसके पीछे सरकार की दोषपूर्ण नीति है आम व्यक्ति शांति से जीवन जीना चाहता है परंतु वर्तमान में देश भर में जिस प्रकार जाति और सांप्रदायिकवाद का दौर चल रहा है इसमें बदलाव की ओर इशारा करता है भाजपा कम मतदान के लिए चुनाव आयोग को जिम्मेदार मान कर उससे शिकायत कर रही है जबकि स्वयं भाजपा को अपनी नीतियों पर विचार करने की आवश्यकता है जिस पर भाजपा को ध्यान देना चाहिए।

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