बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) वर्तमान डिजिटल युग में सोशल मीडिया का प्रभाव अत्यधिक बढ़ चुका है, और यह युवा पीढ़ी के बीच कट्टरपंथ फैलाने का एक प्रमुख माध्यम बन चुका है। फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम जैसी डिजिटल साइट्स पर कट्टरपंथी विचारों को आसानी से फैलाया जा सकता है। विशेष रूप से युवा वर्ग, जो इन प्लेटफार्म्स पर सक्रिय रहता है, इन विचारों से प्रभावित हो सकता है। कट्टरपंथी लेख, वीडियो और संदेशों के माध्यम से युवाओं को उकसाया जाता है, जिससे वे समाज और देश में विभाजन और हिंसा के बीज बोने लगते हैं। यह कट्टरपंथी सोच न केवल धर्म के लिए, बल्कि देश के लिए भी अत्यंत हानिकारक है। समाज में धार्मिक और जातीय वैमनस्यता को बढ़ावा मिलता है, और युवा अपनी भावनाओं में बहकर सही और गलत का अंतर भूल जाते हैं। यह स्थिति देश की सामाजिक एकता और अखंडता के लिए खतरे की घंटी बन सकती है। सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं का कट्टरपंथीकरण हाल ही में सबसे खतरनाक प्रवृत्तियों में से एक के रूप में उभरा है। खासकर व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम जैसे विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से मुस्लिम युवा निशाना बन रहे है। इस मामले के उदाहरण इस तथ्य की ओर भी ध्यान आकर्षित करते हैं कि सोशल मीडिया संचार में पहचान से बचने के लिए एक ढाल बन रहा है।











