बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) पदोन्नति को लेकर हाईकोर्ट में चल रहे मामले में शिक्षा विभाग कोर्ट को दिखाने के लिए पदनाम के आधार पर शिक्षकों का ट्रांसफर कर रहा है परंतु यह ट्रांसफर भाषा को दरकिनार कर किए जा रहे हैं जिससे उर्दू माध्यम की स्कूलों में हिंदी माध्यम के टीचरों की नियुक्ति उर्दू दुश्मनी को उजागर करती है सरकार कर्मचारियों को समय पर पदोन्नति नहीं देकर कर्मोन्नति देकर उनके वेतन भत्ते तो बढ़ जाते हैं परंतु पदनाम के अनुसार उनकी उन्नति नहीं होती इसी को लेकर हाई कोर्ट में चल रहे केस में कोर्ट को दिखाने के लिए बुरहानपुर के शिक्षा विभाग के द्वारा यह कार्यवाही की जा रही है विभाग यदि पदनाम के आधार पर पदोन्नति करना चाहता है तथा रिक्त पदों पर भर्ती करना चाहता है तो यह ट्रांसफर भाषा के आधार पर करें उर्दू माध्यम के टीचर को उर्दू माध्यम स्कूल में नियुक्ति दे इसी प्रकार हिंदी मध्यम स्कूल में हिंदी मध्यम टीचर का तबादला कर पद भरे जाए अगर उर्दू व अन्य माध्यम के टीचर नहीं है और स्कूलों में पद खाली है तो वहां शासन की नीति अनुसार भाषा के आधार पर अतिथि शिक्षकों की भर्ती का रिक्त पदों की पूर्ति करें ना कि उर्दू माध्यम के स्कूलों में हिंदी माध्यम के टीचर की नियुक्ति कर उर्दू के अतिथि शिक्षक का हक मारा जाए ऐसी भी उर्दू दुश्मनी को लेकर पालकों ने जनसुनवाई में भी गोहर लगाई है शिक्षा विभाग के इस तुगलकी आदेश से जहां छात्रों में असंतोष देखा जा रहा है वही आने वाले समय में उर्दू स्कूलों के परीक्षा परिणाम भी प्रभावित होंगे उर्दू स्कूलों में हिंदी माध्यम के किसी भी जाति के शिक्षक की नियुक्ति पर हाई कोर्ट पहले ही शिक्षा विभाग को फटकार लगा चुका है उसके बाद भी शिक्षा विभाग अपने अड़ियल रवैया पर तुला है विभाग को चाहिए कि वह उर्दू स्कूलों में विषय वार उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति करें तथा विभाग के पास उर्दू शिक्षक नहीं होने पर ऐसे पदों को अतिथि शिक्षकों की भर्ती से पूर्ति करें तो बेरोजगारों को रोजगार और स्कूल के परीक्षा परिणाम में भी सुधार होगा।