बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) 1947 की जंगे आजादी के समय आजादी की अलख जगाने यहां कार्यक्रमों का आयोजन हुआ करता था तब से यह मैदान अपनी पहचान रखता है कोई साठ के दशक में यहां नगर निगम ने शनवारा पानी टंकी होने के चलते उधान का निर्माण कराया तब से यह शौकत गार्डन के नाम से मशहूर हुआ शहर के उद्यानों में यह पहला ऐसा उद्यान था जहां बूढ़े बच्चे नौजवान सभी की तफरी का स्थान बना लेकिन धीरे धीरे समय के साथ राजनीति के चक्रव्यूह में उलझ कर भरा पूरा गार्डन बर्बाद होकर वीरान हो गया इसको लेकर अनेक बार अनेक माध्यमों से इसे आबाद करने की कवायद भी शुरू हुई नगर निगम ने इसके जीर्णोद्धार के लिए टेंडर भी निकाले लेकिन मामला टाय टाय फिश इसकी दुर्दशा को देख मंगलवार को फिर एक बार समाजसेवियों के द्वारा इसके जीर्णोद्धार को लेकर एक ज्ञापन जनसुनवाई में शेख रुस्तम व अन्य साथियों के द्वारा दिया गया और मांग की गई के इस गार्डन को पुराना रूप लौटाया जाए वहां गार्डन विकसित कर बच्चों के मनोरंजन और बुजुर्गों की चहल कदमी के लिए स्थान बनाया जाए ताकि शहर के मध्य में बच्चों और बुजुर्गों को मनोरंजन के साथ चहल कदमी का साधन भी उपलब्ध हो वर्तमान में नई परिषद का गठन भी हो चुका है और परिषद में प्रस्ताव लाकर इस गार्डन को पुनर्जीवित करने की पहल पार्षदों की ओर से की जाना चाहिए ताकि यह मैदान असामाजिक तत्वों का अड्डा बनने से बच सके।