नेताओं को पुरानी पेंशन कर्मचारी उलझा नई पुरानी पेंशन के चक्रव्यूह में

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बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) राज्य शासन के द्वारा 2005 से कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना का लाभ बंद कर नई पेंशन योजना लागू की गई जो शेयर बाजार पर आधारित है कर्मचारी इस योजना का विरोध कर पुरानी पेंशन लागू करने की मांग को लेकर मैदान में है लेकिन कर्मचारियों के इस आंदोलन की गुहार मुख्यमंत्री के कानों तक नहीं पहुंच रही है। इसी को लेकर प्रदेश स्तर पर कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं उनकी मांग है कि रिटायरमेंट के बाद नई पेंशन में उनके हाथ खाली रहेंगे इसलिए जिस प्रकार मंत्रियों की पेंशन योजना में कोई बदलाव नहीं किया गया है उन्हें पूरे लाभ मिल रहे हैं तो फिर कर्मचारी की पेंशन में भेदभाव क्यों ऐसे सवाल पूछ रहा है कर्मचारी लेकिन सरकार है कि खामोश कर्मचारियों की पेंशन पर राजनीति भी जारी है। कांग्रेस ने कहा है कि वह सत्ता में आई तो पुरानी पेंशन योजना लागू करेगी। छत्तीसगढ़ और राजस्थान सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को मंजूरी देकर लागू किया है कर्मचारी संगठन अपने अस्तित्व की लड़ाई को लेकर मैदान में है लेकिन अब तक उन्हें सफलता नहीं मिली है सरकार अपने कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने में आर्थिक कारण ठीक नहीं होना बता रही है तो संगठन अपने हितों के लिए अडिंग होकर सरकार पर दबाव डाल रही है लेकिन सरकार ने कर्मचारियों और अधिकारियों को अलग अलग श्रेणी मैं बांटकर किसी को पुरानी तो किसी को नई पेंशन योजना में बांटकर कर्मचारियों और अधिकारियों में फूट डालने की साजिश भी रच रही है लेकिन इस सबके बावजूद कर्मचारी संगठन एकजुट होकर अपनी लड़ाई के लिए मैदान में डटे हुए हैं। कर्मचारी संगठनों ने सरकार की इस नीति का विरोध कर मैदान में डटे हैं।

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