बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) मुगलकाल में शहर की आबादी को सुरक्षा देने के उददेश से 8 किमि लंबी परकोटे की दिवार का निर्माण कराकर शहर को सुरक्षा प्रदान की गई थी यह दिवार चार सौ वर्ष बीत जाने के बाद भी आज शहर को सुरक्षा प्रदान कर रही है, 8 किमि लंबी इस परकोटे की दिवार पर शहर में प्रवेश के लिए प्रवेशद्वार भी बनाऐ गए थे परंतु अब शहर को सुरक्षा देने वाली इस दिवार को स्वंय सुरक्षा की जरूरत है। पुरातत्व और पर्यटन विभाग के जिम्मेदारों की लापरवाही और अनदेखी के चलते इस दिवार के जगह जगह क्षतिग्रस्त होने से कमजोर हो चुकी है अनेक स्थानो पर इस का कुच्छ भाग टूट कर गिर गया है, शहरी क्षेत्र में इस परकोटे की दिवार की देख भाल की जिम्मेदारी नगर निगम के पास है पर इस के द्वारा भी देख रेख नही करने से शहर के चार गेट नस्ट हो चुके है, पर्यटन और स्वच्छता के नाम पर सैल्फी पाइंट बनाकर वाह वाही लूटने का काम तो नगर निगम करता है स्वच्छता में अपने अंक बढाने के लिए परंतु जब इस के देख रेख की बात की जाती है तो निगम पल्ला झाड इस की जिम्मेदारी पुरातत्व विभाग पर डालकर दूर हट जाता है। मुगलकाल में र्निमित होने वाली यह दिवार 10 फीट चौडी है तथा मुगलकाल के विशेष लालरंग के मसाले से इस का जुडाव किया गया है, लेकिन पुरातत्व और पर्यटन विभाग अब इस की देख रेख नही कर रहा है जिस के चलते यह सुरक्षा दिवार अब अनेक स्थानो से क्षतिग्रस्त हो चुकी है, जिस पर पुरातत्व विभाग भोपाल के जिम्मेदारों को ध्यान देकर इस सुरक्षा देने वाली दिवार को सुरक्षित रखने की आवश्यक्ता है।