नवजात शिशु और प्रसुताओं की मौत के लिए जाना जाता है जिले का सरकारी अस्पताल

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बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) सरकार के संस्थागत प्रसव के कार्यक्रम के तहत जिला अस्पताल में डिलीवरी को पहुंचने वाली प्रसुताओं और नवजात शिशुओं की मौत यहां होने वाली लापरवाही एनेस्थीसिया डॉक्टर के नहीं होने से समय पर ऑपरेशन नहीं होना प्रसुताओं की मौत का कारण बनता है। यहां डिलीवरी के दौरान सैकड़ो प्रसुताओं और नवजात शिशुओं की मौत हो चुकी है दर्जनों बार हंगामा हुआ जांच के आश्वासन मिले लेकिन कभी किसी को दोषी मानकर उस पर कार्यवाही नहीं हुई, ऐसी ही एक घटना मंगलवार को भी सामने आई जहां डॉक्टर और स्टाफ की लापरवाही के चलते समय पर ऑपरेशन नहीं होने से नवजात ने मां के पेट में ही दम तोड़ दिया तो कुछ समय के बाद प्रसुता ने भी दम तोड दिया। इस घटना के बाद हंगामा होने पर आरएमओ डॉ. भूपेंद्र गौर ने स्वीकार किया कि समय पर ऑपरेशन बेहोशी के डॉक्टर नहीं होने से नही किया जा सका जबकि परिजन चीख चीख कर बता रहे हैं कि तीन दिनों से परिजन ऑपरेशन से डिलीवरी करने की मांग कर रहे थे परंतु डॉक्टर और नर्स नॉर्मल डिलीवरी होने का इंतजार करते रहे। जिला अस्पताल का यह पहला मामला नहीं यह लापरवाही आदतन बन चुकी है तो वही जनप्रतिनिधियों की रुचि अस्पताल में निर्माण कार्य कराने की है, यहां एनेस्थीसिया डॉक्टर सहित अनेक विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है 50 प्रतिशत से अधिक स्टाफ की कमी यहां दशकों से है पर कोई भर्ती नहीं इसके लिए केवल प्रयास का आश्वासन जबकि निर्माण कार्यों के लिए तत्काल धन की स्वीकृति यह दर्शाती है कि यहां के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि जो सत्ता में बैठे हैं गरीबों के उपचार और स्वास्थ्य सुविधाएं दिलाने के लिए उदासीन है, बुरहानपुर के जिला अस्पताल को एनेस्थेटिक डॉक्टर और अन्य विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है इसके साथ ही स्टाफ द्वारा की जाने वाली लापरवाही पर लगाम कसने की जरूरत है तब जाकर यहां मौतों का सिलसिला थमेगा।

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