सड़क पर विरोध प्रदर्शन क्या न्याय और सार्वजनिक व्यवस्था को कायम रख सकता है

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बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) इस्लामी तालीम में शिक्षा न्याय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और उत्पीडऩ का विरोध करने के विचारों में निहिता हैं। लेकिन इन्हें सार्वजनिक व्यवस्था और सुख शांति के मापदंडों के भीतर हर समय नियंत्रण में रखा जाना चाहिए। मजहब इस्लाम ऐसे किसी भी कार्य पर रोक लगाता है जो हिंसा भड़काता है या समाज में नफरत फैला कर शांति व्यवस्था को भंग करता है, जिसमें सड़कों पर हिंसक विरोध प्रदर्शन भी शामिल है जो दैनिक दिनचर्या को परेशान करता है और देश को कमजोर कर सकता है।आम जीवन में संविधान के अनुसार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकारए दिया गया है इसी प्रकार मजहबे इस्लाम में भी बरकरार रखा गया है। यह स्वतंत्रता और पूर्ण सहिष्णुताए सामाजिक सद्भाव और आम भलाई को बढ़ावा देना चाहता है। कई इस्लामी इस्क्लोर इस बात पर जोर देते हैं कि इस्लाम में संचार का मतलब लोगों के बीच नफरतए फैलाना नहीं है जैसा कि कुरान और हदीस में कहा गया है इस्लाम उत्पीडऩ का विरोध करता है लेकिन केवल तब तक जब तक यह सही हो सार्वजनिक रैलियों में हिंसा संपत्ति का नुकसान विरोध प्रदर्शन के दौरान अनियंत्रित भावनाएं खतरनाक साबित होती हैं जिससे इस्लाम की छवि धूमल होती है। इन स्वतंत्रताओं का हमेशा जिम्मेदारी से पालन किया जाना चाहिए जो सार्वजनिक जीवन में व्यवस्था को बिगाड़ते हैंए या हिंसा भड़काते हैं। ऐसे विरोध प्रदर्शन जो फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं. जैसे संपत्ति का विनाश यह हिंसा के कार्य इस्लाम के साथ असंगत हैं। मुसलमानों को गैर इस्लामी तरीके से न्याय पाने के लिए प्रोत्साहित करती हैं वह गलत है।

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