सरकारी उपक्रमों को बंद कर निजी करण की ओर अग्रसर होना देश हित में नहीं—-शिंदे

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बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) एनटीसी के स्वर्णिम दौर की बुरहानपुर ताप्ती मिल इन दिनों अपने काल के अंतिम दौर से गुजर रही है लंबे समय से बंद रहने के बाद कोरोनाकाल समाप्त होने पर कुछ समय के लिए चालू होने पर मजदूर और कर्मचारियों में उम्मीद की किरण जागी थी कि अब उन्हें पुनः रोजगार मिलेगा लेकिन कुछ समय चलने के बाद पुनः यह मिल फिर एक बार बंद होने से सैकड़ों मजदूर और कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं जिसके चलते उन्हें 6 माह से वेतन भी नहीं मिला है और परिवार आर्थिक तंगी से झुंझ रहा है मिल को चालू करने और 6 माह का वेतन दिए जाने को लेकर सभी कर्मचारी संगठनों ने संयुक्त प्रयास किए हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई है इसको लेकर पूर्व जिला कांग्रेस एवं एनएसयूआई जिला अध्यक्ष चंद्रहास शिंदे ने एक ज्ञापन पत्र देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कपड़ा मंत्री को भेजकर कर्मचारियों मजदूरों को 6 माह का वेतन देने की मांग करते हुए मिल को दोबारा शुरू करने की गुहार लगाई है पूर्व युवककांग्रेस एवं एनएसयूआई जिलाध्यक्ष चंद्रहास शिंदे ने मीडिया को जारी अपने एक वक्तव्य में कहा है कि बुरहानपुर ताप्ती मिल का इतिहास अंग्रेज शासन काल से जुड़ा है अपने स्वर्णिम दिनों में ताप्ती मिल स्वर्ण पदक प्राप्त कर बुरहानपुर के हजारों मजदूरों को रोजगार देती आई है परंतु वर्तमान सरकार और उसकी नीतियों का परिणाम है कि यह मिल लंबे समय से बंद है और इससे जुड़ा मजदूर भुखमरी का शिकार हो रहा है उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा है कि केंद्र की भाजपा सरकार सरकारी उपक्रमों को बंद कर केवल निजी करण की ओर अग्रसर है जो देशहित में नहीं है श्री शिंदे ने कहा की केंद्र सरकार के द्वारा यदि बुरहानपुर की ताप्ती मिल् को जल्द चालू नहीं किया गया तो उसे गंभीर परिणाम भुगतना होगा।

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