32 करोड का जिला अस्पताल उदासीनता ऐसी के वर्ष भर से नहीं बेहोशी का डॉक्टर ऑपरेशन बंद

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बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) वर्ष दो हजार सत्रह अट्ठारह में शासकीय नेहरू अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग से बहादरपुर रोड स्थित नए भवन में जिला चिकित्सालय को आनन-फानन में शिफ्ट कर नेताओं की छाती चौड़ी हुई थी इसे मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल का दर्जा तक दे डाला था परंतु 32 करोड़ के इस विशाल भवन में अस्पताल के शिफ्ट होने पर खूब वाहवाही लूटी गई लेकिन अब इसके बुरे हाल हैं यहां आने वाले मरीजों को उपचार नहीं मिल रहा है पहले से डॉक्टर और स्टाफ की कमी झेल रहे इस जिला अस्पताल में अब वर्ष भर से बेहोशी का डॉक्टर नहीं होने से यहां सभी प्रकार के छोटे बड़े ऑपरेशन बंद हैं मजबूरी में यहां आने वाले मरीजों को निजी नर्सिंग होम का मुंह देखना पड़ रहा है जहां उनका जमकर आर्थिक शोषण किया जा रहा है जिला अस्पताल में बेहोशी के डॉक्टर नहीं होने से यहां पदस्थ सर्जन अपनी सेवाएं बाहर निजी नर्सिंग होम को दे रहे हैं अस्पताल प्रशासन विभाग की विभिन्न योजनाओं के तहत अस्पताल का निरीक्षण कराने और काग्ज़ी तगमे लेने में व्यस्त है उसे यहां आने वाले मरीजों और उनकी परेशानियों से कोई लेना देना नहीं, इसे अस्पताल प्रशासन की लापरवाही और उदासीनता कहें या फिर राजनेताओं की इच्छा शक्ति नहीं होना कही जाय की इस ओर उनका कोई ध्यान नहीं है केवल लोकलुभावन वादों के अलावा उनके पास धरातल पर काम करने को कुछ नहीं है जिला अस्पताल लंबे समय से डॉक्टर तकनीशियन और आवश्यक संसाधनों की कमी को झुंझ रहा है परंतु नेताओं के कान पर कोई जूं नहीं रेग रही है जिला अस्पताल में विभिन्न बीमारियों को लेकर ऑपरेशन हो या फिर गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी डॉक्टर नहीं होने से बंद है जन कल्याणकारी योजनाओं को लेकर विकास यात्रा निकालने वाले नेताओं को जिला अस्पताल की लचर व्यवस्थाओं की ओर भी ध्यान देकर यहां बेहोशी के डॉक्टर सहित सोनूलॉजिस्ट की व्यवस्था करानी चाहिए ताकि यहां आने वाले मरीजों को लाभ मिल सके।

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