बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर सरकार खासी वाहवाही लूट रही है, मगर इस की जमीनी हकीकत कुच्छ और ही है, 108 एम्बोलेंस सेवा को लेकर खासा प्रचार किया जाता है, मगर यह सेवा आम आदमी और गंभीर मरीजो को घर से अस्पताल पहुंचने के लिए नही है, ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिस से मानवता शर्मसार हुई है, मामला शिकारपुरा का है जहां गरीब मजदूर की पत्नि बढती उमर मौसमी बिमारी के चलते तबियत अचानक बिगडने पर उसे अस्पताल पहुंचाने के लिए एम्बोलेंस की अवश्यक्ता पडी तो पता चला कि शासन की ऐसी कोई योजना नही के किसी बिमार को घर से अस्पताल लाने के लिए एम्बोलेंस उपलब्ध कराई जाऐ इस की पुस्टी एसडीएम दिपक चौहान ने मीडिया के समक्ष की है, गरीब मजबूर मजदूर को अपनी बिमार पत्नि को अस्पताल ले जाने के लिए टांगे का सहारा लेना पडा निजी एम्बोलेंस के लिए उसके पास रूपये नही है, इस मामले के सामने आने के बाद सरकार की एम्बोलेंस सेवा की पोल खुलकर सामने आ गई है, साबिरा बी ने बताया कि उस का पति मजदूरी करता है और वह भी मेहनत मजदूरी कर पति का हाथ बटाती है गरीबी के चलते उनके पास इतने रूपये नही के प्रायवेट एम्बोलेंस को चार पांच सौ रूपये दे सके। स्वास्थ्य विभाग में कहने को तो दरजन भर से अधिक एम्बोलेंस है लेकिन लापरवाही और अफसर शाही तथा निजी एम्बोलेंस संचालको की मिली भगत के चलते आधा दर्जन से अधिक बिमार पडी एम्बोलेंस का सुधार कार्य नही किया गया है, सरकारी योजनओं के नाम पर एम्बोलेंस सेवा का खूब प्रचार प्रसार किया जाता है, वहीं नगर में अनेको समाज सेवी संस्थाऐं है लेकिन इस के बावजूद कोई संस्था इस कार्य के लिए आगे आकर शहर से अस्पताल तक मरीजो को लाने ले जाने की सुविधा दे सके। यहां यह ज्ञात हो कि जिले का सरकारी अस्पताल शहर से पांच किमि दूर है जहां आम तौर पर मरीजो को पहुंचने के लिए सैकडो रूपये खर्च करना होता है, इस ओर सरकारी कारिन्दो सहित नेताओं का कोई ध्यान नही है।