बुरहानपुर (अकील ए आज़ाद) ताप्ती नदी से अवैध खनन पर होने वाले शोर पर कलेक्टर के निर्देश पर शहर से ग्राम तक सभी घाटों पर दबिश देकर रेत से भरी ट्रालीयां रेत निकालने के उपकरण के साथ रेत का भंडार जप्त करने जैसी कार्रवाई तहसीलदार और एसडीएम के द्वारा की गई तो अवैध खनन कर्ताओं में हड़कंप मचा दो दिन शांत रहें लेकिन शुक्रवार सुबह से फिर राजघाट से दर्जनों ट्रालियों को रेत भरते और ट्रांसपोर्ट करते देखा गया यहां रात भर नाव से रेत निकालने का काम जारी रहा दो दिन की खामोशी के बाद फिर अवैध खनन होता देखा गया तो लगा कि जिला प्रशासन पर अवैध रेत खनन माफिया भारी है उन्हें प्रशासन की किसी कार्रवाई का कोई डर नहीं। जून से अक्टूबर के मध्य नदियों से रेत निकालने पर एनजीटी के द्वारा पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है इसी बीच वैध रूप से भी रेत निकालने पर प्रतिबंध होता है पर रेत सिंडीकेट को किसी कानून और प्रतिबंध से कोई लेना.देना नहीं बस उन्हें तो अपनी अवैध कमाई से मतलब नियम कायदे जाए भाड़ में यहां यह कहावत पूरी तरह फिट बैठती है कि सैंया भय कोतवाल तो फिर डर काहे का। यह सफेदपोश नेताओं का ही संरक्षण है कि जिला कलेक्टर की सख्त कार्यवाही के बाद भी अवैध खनन कर शासन के करोड़ों के राजस्व को चूना लगा रहे हैं। जिले में वैधानिक रूप से कोई ठेका नहीं है फिर भी जिले भर में ताप्ती और उसकी सहयोगी नदियों से अवैध खनन का खेल राजनेताओं के संरक्षण में कर भारी भ्रष्टाचार कर रहे हैं जिला प्रशासन ऐसे अवैध रेत माफियाओं पर शिकंजा कसने में नाकाम दिखाई दे रहे हैं जरूरत है रेत सिंडीकेट की रीड पर वार करने की तब कहीं जाकर जिला प्रशासन को इसमें सफलता मिलेगी अन्यथा भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने का दावा करने वाली सरकार की छत्रछाया में ऐसा ही अवैध कारोबार चलता रहेगा।